भारतीय खुफिया एजेंसी ने चीन की बड़ी साजिश का किया भंडाफोड़, ऐसे सामने आया काला सच

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नई दिल्ली: चीन ने भारत के साथ समझौते के तहत भले ही एलएसी के गोगरा पोस्ट में पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से अपनी सेनाएं पीछे हटा ली हों लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसी ने उसकी एक बड़ी साजिश का भंडाफोड़ किया है। पिछले साल गलवान में भारत से बुरी तरह हार चुका चीन अब सीधे टकराव से बचने की जुगत में है। इसीलिए भारत के साथ अपनी लड़ाई लड़ने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में तिब्बतियों और अरुणाचल प्रदेश के गरीब परिवारों को ”हथियार” बनाने की साजिश रच रहा है।

सैन्य, कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर लगातार दबाव बनाए जाने के बाद चीन 31 जुलाई को भारत के साथ कोर कमांडर स्तरीय 12वें दौर की वार्ता के लिए तैयार हुआ। दोनों देशों के कमांडरों के बीच सहमति बनने के बाद एलएसी के मुख्य विवादित इलाकों में से एक गोगरा पोस्ट में पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से चीन और भारत ने अपनी-अपनी सेनाएं पीछे कर ली हैं।

गरीब परिवार को दे रहा पैसों का लालच

भारतीय सेना की खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने सीमा क्षेत्रों में भारतीय अरुणाचल प्रदेश के युवाओं को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में भर्ती करने की योजना बनाई है। इसके लिए चीन अरुणाचल प्रदेश के गरीब परिवारों को पैसे का लालच दिखा रहा है। गरीब परिवारों के युवाओं को चाइना आर्मी में भर्ती करने के पीछे अरुणाचल प्रदेश के युवाओं को भारतीय सेना के विरोध में चीन के साथ खड़ा करने की साजिश है। यह खुफिया जानकारी मिलने के बाद से भारतीय सेना चीन के सीमावर्ती इलाके अरुणाचल प्रदेश में गरीबी से जूझ रहे सभी युवाओं पर नजर रखे हुए है। ताकि चीनी खुफिया सेना अरुणाचल सीमा के भोले-भाले लोगों से दूर रहे और उन्हें अपने साथ न ले जा पाए। भारतीय सेना ने इसकी जानकारी गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को भी दी है।

दुनिया को सामने बनाना चाहता है साफ छवि

इसी तरह चीन ने तिब्बत में रहने वाले सभी परिवारों के लिए हर घर से एक व्यक्ति को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में भेजने का आदेश जारी किया है। इन तिब्बतियों को सैन्य प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश के सामने तिब्बत सीमा पर तैनात किये जाने की तैयारी है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बतियों को चीनी सेना में शामिल होने से पहले चीन की मंदारिन भाषा सीखनी होगी। चीन ने तिब्बतियों को अपनी सेना में शामिल करने का फैसला इसलिए भी किया है क्योंकि हिमालय का अत्यधिक ठंडा और कठोर मौसम पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान झेल नहीं पा रहे हैं। इसके विपरीत तिब्बती इस मौसम के अभ्यस्त हैं और आसानी से कहीं भी चढ़ जाते हैं। इसके पीछे एक और गहरी साजिश यह भी है कि अगर भारत के साथ किसी भी संघर्ष में तिब्बती सैनिक मारे जाते हैं तो चीन आसानी से दुनिया को बता पाएगा कि तिब्बती अपनी मातृभूमि चीन को बचाने के लिए शहीद हुए हैं।

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अरुणाचल प्रदेश के भाजपा सांसद तापिर गाओ ने कहा है कि चीन सीमावर्ती इलाकों में 80 के दशक से सड़कों का निर्माण कर रहा है और लोंगजू से माजा तक सड़क बना ली है। भाजपा सांसद ने कहा कि चीन ने राजीव गांधी के शासन के दौरान तवांग में सुमदोरोंग चू घाटी पर कब्जा कर लिया था। साल 1980 से अब तक चीनी धीरे-धीरे इसके आसपास के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, यह कोई नई बात नहीं है। भाजपा सांसद ने भारतीय सीमा में चीनियों की मौजूदगी को स्वीकार करते हुए कहा कि चीनी सेना ने बीसा और माजा के बीच सैन्य ठिकाने बनाए हैं, जो मैकमोहन सीमा के अंदर यानी भारतीय सीमा में है।