Home देश ‘काजिंद’ के लिए कजाकिस्तान रवाना हुईं भारतीय सेनाएं, 90 जवान होंगे शामिल

‘काजिंद’ के लिए कजाकिस्तान रवाना हुईं भारतीय सेनाएं, 90 जवान होंगे शामिल

Indian forces leave for Kazakhstan for 'Kazind

नई दिल्लीः कजाकिस्तान में 30 अक्टूबर से होने वाले सैन्य अभ्यास ‘काजिंद’ में हिस्सा लेने के लिए भारतीय सेना (Indian forces) और वायुसेना (Air Force) की एक टुकड़ी रविवार को दिल्ली से रवाना हुई। इस टीम में भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट के 90 जवान शामिल हैं। इस सैन्य अभ्यास में दोनों तरफ से 30 वायुसेना कर्मी भी हिस्सा लेंगे। अभ्यास के दौरान दोनों पक्षों को युद्ध कौशल के व्यापक स्पेक्ट्रम पर एक-दूसरे से अभ्यास करने और सीखने का अवसर मिलेगा।

11 नवंबर तक चलेगा अभ्यास

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘काज़िंद’ के 7वें संस्करण में भाग लेने के लिए 120 कर्मियों का एक दल आज कजाकिस्तान के लिए रवाना हुआ। यह अभ्यास 11 नवंबर तक चलेगा और इसमें भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट की एक बटालियन के नेतृत्व में 90 सैनिक शामिल होंगे। कजाकिस्तान दल का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से कजाख ग्राउंड फोर्सेज के दक्षिणी क्षेत्रीय कमान के सैनिकों द्वारा किया जाएगा। अभ्यास के इस संस्करण में सेना की टुकड़ियों के साथ-साथ दोनों पक्षों के 30 वायु सेना कर्मी भी भाग लेंगे।

आतंकवाद विरोधी अभियान का होगा अभ्यास

भारत और कजाकिस्तान के बीच यह संयुक्त अभ्यास वर्ष 2016 में ‘प्रबल दोस्ती’ के नाम से शुरू किया गया था। दूसरे संस्करण के बाद, इस अभ्यास को कंपनी-स्तरीय अभ्यास में अपग्रेड किया गया और इसका नाम बदलकर अभ्यास ‘काजिंद’ कर दिया गया। इस वर्ष से वायु सेना को भी अभ्यास में शामिल किया गया। अभ्यास के वर्तमान संस्करण में, दोनों सैन्य पक्ष आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने का अभ्यास करेंगे। इस अभ्यास में मानव रहित हवाई प्रणाली संचालन भी शामिल था।

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यह अभ्यास दोनों सैन्य पक्षों को एक-दूसरे की रणनीति, युद्ध अभ्यास और प्रक्रियाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा, जो संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत संचालन के लिए आवश्यक हैं। यह संयुक्त प्रशिक्षण अर्ध-शहरी और शहरी परिस्थितियों में संयुक्त सैन्य अभियान चलाने के लिए आवश्यक कौशल और समन्वय विकसित करेगा। यह दोनों सैन्य पक्षों को युद्ध कौशल के व्यापक स्पेक्ट्रम पर अभ्यास करने, एक-दूसरे से सीखने, विचारों का आदान-प्रदान करने और सर्वोत्तम अभ्यास साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। इस अभ्यास से दोनों सेनाओं के बीच संबंध और अधिक मजबूत होंगे।

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