नई दिल्लीः भारतीय सेना की मेजबानी में राजधानी के मानेकशॉ सेंटर में 24 और 25 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ‘चाणक्य रक्षा संवाद’ (Chanakya Raksha Dialogue) का दूसरा संस्करण आयोजित किया जाएगा। इस बार इसका विषय ‘राष्ट्र निर्माण में प्रेरणा: समग्र सुरक्षा के जरिए विकास को बढ़ावा’ रखा गया है। इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतियों के आलोक में महत्वपूर्ण चर्चाएं होंगी, जिसका उद्देश्य सतत और समावेशी विकास के लिए दूरदर्शी रणनीति तैयार करना है।
चर्चा में विदेशों के वक्ता होंगे शामिल
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दो दिवसीय इस कार्यक्रम में भारत और विदेश के नीति निर्माताओं, रणनीतिक विचारकों, शिक्षाविदों, रक्षा कर्मियों, दिग्गजों, वैज्ञानिकों और एसएमई के समूह शामिल होंगे, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इजरायल और श्रीलंका के प्रमुख वक्ता शामिल होंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। वे ‘विकास और सुरक्षा के लिए भारत के दृष्टिकोण’ पर मुख्य भाषण देंगे, जिसमें 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में व्यापक सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया जाएगा। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी श्रोताओं को संबोधित करेंगे, जिसमें राष्ट्र निर्माण में भारतीय सेना के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला जाएगा।
पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा
चाणक्य रक्षा वार्ता में विशेषज्ञों के नेतृत्व में छह सत्र होंगे, जिनमें से प्रत्येक व्यापक सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। पहले सत्र में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर गहन चर्चा होगी, जिसमें एक बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की रणनीतिक स्थिति की खोज की जाएगी। दूसरे सत्र में इस बात की जांच की जाएगी कि आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा कैसे आपस में जुड़े हुए हैं और एक मजबूत रक्षा स्थिति बनाए रखने के लिए एक लचीली अर्थव्यवस्था का महत्व क्या है। जलवायु परिवर्तन पर बढ़ते वैश्विक फोकस के साथ, तीसरे सत्र में आर्थिक विकास को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ संतुलित करने की आवश्यकता पर चर्चा की जाएगी।
भूमि युद्ध के भविष्य पर होगा सत्र
चाणक्य रक्षा वार्ता का चौथा सत्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक सामंजस्य और समावेशी विकास के महत्व पर केंद्रित होगा। पैनल इस बात की जांच करेगा कि सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देकर, आर्थिक असमानताओं को दूर करके और समाज के सभी वर्गों में समावेशी विकास को बढ़ावा देकर आंतरिक सुरक्षा को कैसे मजबूत किया जा सकता है। पांचवें सत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों को राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे में एकीकृत करने पर चर्चा की जाएगी।
छठा और अंतिम सत्र भूमि युद्ध के भविष्य पर केंद्रित होगा और भारतीय सेना युद्ध के मैदान की तैयारियों को बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों को कैसे अपना सकती है। पैनलिस्ट यह भी बताएंगे कि भारत आत्मनिर्भर पहल के तहत स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों को कैसे बढ़ावा दे सकता है। चाणक्य रक्षा संवाद के दूसरे दिन, इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व पर एक विशेष संबोधन देंगे।
यह भी पढ़ेंः-PM Modi बोले- हम युद्ध के नहीं, संवाद के समर्थक हैं, आतंकवाद पर दोहरे मापदंड की कोई जगह नहीं
संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सुश्री रुचिरा कंबोज बहुध्रुवीय दुनिया में भारत की उभरती स्थिति और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मजबूत कूटनीतिक उपायों की आवश्यकता पर अंतर्दृष्टि साझा करेंगी। संवाद का समापन उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि के संबोधन के साथ होगा। यह आयोजन राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास पर भारत की रणनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा, जिससे राष्ट्र के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य को आकार देने में मदद मिलेगी।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)