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Pralay Missile: चीन-पाकिस्तान सीमा पर तैनात होगा भारत का खतरनाक हथियार, मिली मंजूरी

Pralay-Tactical-Ballistic-Missiles Pralay Tactical Ballistic Missiles: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनाती के लिए 'प्रलय' बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजिमेंट की खरीद को मंजूरी दे दी है, जिससे उसकी मारक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। भारतीय सेना के लिए चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर तैनाती का यह एक बड़ा फैसला है, क्योंकि प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल 150-500 किलोमीटर के बीच लक्ष्य पर हमला कर सकती है। सेना इन मिसाइलों को पारंपरिक हथियारों के साथ तैनात कर सामरिक भूमिकाओं में इस्तेमाल करेगी। इन मिसाइलों को खरीदने का निर्णय भारतीय वायु सेना द्वारा 15 सितंबर को कम दूरी की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल 'ध्रुवास्त्र' खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के तुरंत बाद लिया गया है। चीन और पाकिस्तान दोनों के पास रणनीतिक भूमिकाओं के लिए बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। यह मिसाइल हवा में एक निश्चित दूरी तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता रखती है। 'प्रलय' एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और अन्य नई प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित है। मिसाइल मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन और एकीकृत एवियोनिक्स शामिल हैं। ये भी पढ़ें..किम जोंग 6 दिन बाद रूस से उत्तरी कोरिया के लिए रवाना, तोहफे में मिले खतरनाक हथियार और बुलेटप्रूफ जैकेट

500-1000 किलोग्राम का वजन ले जाने में सक्षम

चीन और पाकिस्तान दोनों के पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो रणनीतिक भूमिकाओं के लिए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन इन मिसाइलों को और विकसित कर रहा है। सेना चाहे तो इसकी मारक क्षमता को काफी बढ़ाया जा सकता है। दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने सेना प्रमुख के रूप में 2015 के आसपास इस मिसाइल प्रणाली के विकास को बढ़ावा दिया था। 'प्रलय' सतह से सतह पर मार करने वाली अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है। इस उन्नत मिसाइल को इंटरसेप्टर मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए विकसित किया गया है। सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल 500-1000 किलोग्राम का पेलोड ले जाने में सक्षम है। इसे मोबाइल लॉन्चर से भी लॉन्च किया जा सकता है।

प्रलय को पहले भारतीय वायुसेना में किया जाएगा शामिल

इस मिसाइल को पहले भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा, जिसके बाद इसे भारतीय सेना में शामिल किए जाने की संभावना है। ऐसी मिसाइल प्रणालियों का उपयोग लंबी दूरी की दुश्मन वायु रक्षा प्रणालियों और अन्य उच्च मूल्य वाली मिसाइलों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। इन मिसाइलों को सशस्त्र बलों में शामिल करने के प्रस्ताव को ऐसे समय में मंजूरी दी गई है जब रक्षा बल एक रॉकेट बल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जो लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सके। चीनी सेना के पास पहले से ही रॉकेट फोर्स मौजूद है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)