गुरुग्रामः प्रसिद्ध समाजसेवी प्रेम गोयल ने व्यायाम, ध्यान और नित स्नान की परंपरा को परिवार से जोड़ते हुए कहा कि भारत को पहले विश्व गुरु, जगत गुरू और सोने की चिड़िया कहा जाता था। अब भारत 2025 में सोने की चिड़िया नहीं सोने का शेर बनेगा। यह बात उन्होंने मंगलवार को यहां गुरुग्राम विश्वविद्यालय में परिवार प्रबोधन कार्यक्रम में बोलते हुए कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन व मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया।
अपने संबोधन में प्रेम गोयल ने कहा कि घर में भोजन करते समय टीवी और मोबाइल का उपयोग ना करें। आस-पड़ोस के लोगों के साथ अच्छे सम्पर्क बनाएं रखने चाहिए। हमारे परिवार की जड़े हमेशा हरी-भरी रहनी चाहिए, जिससे की उचित फैसले लिए जा सकें। उन्होंने कहा कि कम से कम सप्ताह में एक बार सभी परिवार जन लोग मिलकर भोजन, कीर्तन, वार्ता आदि करें तो हमारा प्रेम भाव का वातावरण बनेगा।
कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने कहा कि संस्कारिक परिवार से ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव है। वर्तमान समय में संयुक्त परिवार तेजी से टूटकर एकल परिवारों में बदल रहे हैं। एकल परिवार आर्थिक रूप से संपन्न होता है, लेकिन इसमें सहनशीलता, परस्पर सहयोग व संस्कारों की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जिसके कारण परिवार का प्रत्येक सदस्य चिंता से ग्रस्त हो रहा है। आगे डॉ. आहूजा ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी प्राचीन ऋषि-मुनियों की संस्कृति तो हमें वसुधैव कुटुम्बकम की शिक्षा देती है। हमें अपने घरों में बच्चों को अच्छे संस्कार माता-पिता के चरण स्पर्श, पूजा पाठ करना, बड़ों का सम्मान, छोटों से स्नेह, अपने कार्य की प्रति निष्ठा, समाज व देश सेवा की प्रतिदिन शिक्षा देनी चाहिए।
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इस अवसर पर समाजसेवी जगदीश ग्रोवर, प्रो. एमएस तुरान, प्रो. बदरुद्दीन, डॉ. अन्नपूर्णा, डॉ. अमन वशिष्ठ, डॉ. अशोक खन्ना, डॉ. राकेश कुमार योगी, डॉ. नवीन गोयल, डॉ. वंदना हांडा, डॉ. शुभम गांधी, डॉ. एकता, डॉ. सीमा महलावत, डॉ. नीलम वशिष्ठ, डॉ. फलक खन्ना, डॉ. वंदना, जनार्दन शर्मा आदि मौजूद रहे।
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