लखनऊः भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के प्रयास में लगा हुआ है। आए दिन देश में सभी क्षेत्रों में दूसरे देशों पर निर्भरता कम की जा रही है और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में अब ई-मॉर्केट में भी भारत आत्मनिर्भर बनने की शुरूआत कर रहा है। अब देश के छोटे-छोटे दुकानदार भी विदेश की बड़ी कंपनियों से मुकाबला कर सकेंगे। देश के छोटे दुकानदारों के संगठन कन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक ऐसा मोबाइल एप शुरू किया है जिससे हर दुकानदार जल्द शुरू होने वाले देसी ई-मार्केट पर मुफ्त में ई-दुकान खोल सकेगा। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में एक और कदम है। आत्मनिर्भर बनने के क्षेत्र में कैट जल्द ही अपना खुद का ई-कॉमर्स पोर्टल ‘भारत ई-मार्केट’ खोलने जा रहा है। इसके तहत अब देश के छोटे दुकानदार और कारोबारी भी अब इस पोर्टल के ज़रिए अपने सामान की बिक्री कर सकेंगे। इस पर वेंडरों को ऑनबोर्ड लाने के लिए ही कैट ने ये मोबाइल एप शुरू की है।
ई-कॉमर्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तैयारी
चीन से विवाद के बाद चीनी कंपनियों के बैन के बाद से भारत लगातार आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयासरत रहा है। जिसके लिए लगातार सरकार द्वारा लोगों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा और लोगों से ये अपील भी की जा रही है कि वो ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी वस्तुओं और स्वदेशी चीजों का ही इस्तेमाल करें। आजकल के समय में ई-मार्केटिंग का बोल-बाला है। लोग अधिकतर शॉपिंग ई-मॉर्केट के ज़रिए ही करते हैं। जिसमें अमेजॉन और फ्लिपकॉर्ट जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों का बोल-बाला है। लोग इन कंपनियों से लगातार शॉपिंग कर रहे हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में स्वदेशी कंपनियां पीछे रह रही हैं। इसी को देखते हुए अब कैट के ‘भारत ई-मार्केट’ ऑनलाइन पोर्टल से ई-कॉमर्स के क्षेत्र में भी भारत की आत्मनिर्भता बढ़ेगी और स्वदेशी चीजों को बढ़ावा मिलेगा। वैसे भी कैट ने हमेशा से ही फ्लिपकार्ट और अमेजॉन जैसी बड़ी ऑनलाइन कंपनियों का मुखर स्वर में विरोध किया है। वहीं कैट इन बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के एफडीआई नियमों के उल्लंघन और ट्रेडर्स के साथ भेदभाव करने की नीतियों के खिलाफ लगातार बोलती आई है और सरकार पर इसे लेकर दबाव भी बनाती रही है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ‘भारत ई-मार्केट’ पूरी तरह से देश के नियम-कायदों का पालन करने वाला पोर्टल होगा। जिस तरह से विदेशी ऑनलाइन कंपनियां देश के नियम-कानूनों को धता बता रही हैं। उनसे निपटने के लिए इस तरह देश के व्यापारियों और ग्राहकों के लिए प्रतिबद्ध ऑनलाइन बाजार बनाना अनिवार्य हो गया था। कैट के इस कदम से निश्चित ही ई-कॉमर्स के क्षेत्र में भी अब भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर आगे बढ़ेगा।
2023 तक 1 करोड़ से अधिक ट्रेडर्स को जोड़ने का लक्ष्य
ये तो तय है कि कैट के इस फैसले से स्वदेशी चीजों को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, लेकिन कैट के लिए इस स्वदेशी ई-मार्केट के लिए ट्रेडर्स को जोड़ना भी एक चुनौती होगी। लोगों के बीच इसकी पहुंच बनाना भी कैट के लिए कोई आसान राह नहीं होगी, क्योंकि लोगों के दिलो-दिमाग पर इतने सालों से चल रहीं ये विदेशी ई-कंपनियां छाई हुई हैं। वहीं ये अब लोगों की विश्वसनीय भी बन चुकी हैं। ऐसे में कैट के लिए आगे की राह आसान होने वाली नहीं है, वहीं कैट भी इस बात को भली-भांति समझता है। ऐसे में कैट की योजना इस साल के अंत तक स्वदेशी ऑनलाइन पोर्टल ‘भारत ई-मार्केट’ पर 7 लाख ट्रेडर्सऔर दिसंबर 2023 तक एक करोड़ से भी अधिक ट्रेडर्स को लाने की है। गौरतलब है कि छोटे व्यापारियों के हित में काम करने वाली संस्था कैट से देशभर के 40,000 से ज्यादा व्यापारी संगठन संबद्ध हैं। जो देशभर के दुकानदारों की ई-दुकान खुलवाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
रजिस्ट्रेशन करके खोल सकता है ई-दुकान: प्रवीण
इस नए स्वदेशी भारत ई-मार्केट पर दुकानदार कैसे अपनी ई-दुकान खोल सकेंगे और चला सकेंगे? इस बारे में बताते हुए कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि हर दुकानदार इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करके अपनी ई-दुकान खोल सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात भारत ई-मार्केट पर रजिस्ट्रेशन कराने वाले दुकानदारों से किसी भी तरह का कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। इस तरह हर छोटा दुकानदार मुफ्त में अपनी ई-दुकान बना सकेगा। क्योंकि कैट का मकसद छोटे दुकानदारों को बढ़ावा देना है। अभी ई-मार्केट में फैलीं विदेशी कंपनियां 5 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक का कमीशन लेती हैं, जबकि स्वदेशी ई-मार्केट में किसी तरह का कोई कमीशन नहीं लिया जाएगा।
इससे ग्राहकों को सस्ता सामान मिल सकेगा और व्यापारियों की आय बढ़ सकेगी। कैट का मकसद सिर्फ अपने लिए मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि देश के दुकानदारों का भला हो और उनकी आमदनी बढ़ाना ही मुख्य लक्ष्य है। वहीं भारत ई-मार्केट अन्य विदेशी ऑनलाइन कंपनियों से इस मामले में भी अलग है कि यहां पर कोई भी चीनी सामान नहीं मिलेगा। चूंकि ये मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया गया ई-मार्केट है, ऐसे में इस पर किसी भी तरह का कोई भी चीनी सामान नहीं बेचा जाएगा। कैट की ओर से कहा गया कि पोर्टल पर चीनी सामान बेचने की अनुमति नहीं होगी, साथ ही दस्तकारों, महिला उद्यमियों और शिल्पियों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इस पोर्टल का सारा डेटा देश में ही रखा जाएगा। फिलहाल कैट का आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ये एक बड़ा कल्याणकारी कदम है। इससे निश्चित ही मेक इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
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स्वदेशीकरण को मिलेगा बढ़ावा: संजय गुप्ता
ई-मार्केट को लेकर कैट के नेशनल जनरल सेक्रेटरी संजय गुप्ता का कहना है कियह पूरी तरह स्वदेशी एप है और इससे स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा। यह पूरी तरह निःशुल्क है और व्यापारियों के लिए काफी सुविधाजनक साबित होगा। हमने व्यापारियों को जोड़ने का जो लक्ष्य रखा है, उस पर काफी तेजी से काम किया जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से लोगों को सुई से लेकर घरेलू प्रयोग में आने वाली हर प्रकार की सामग्री उपलब्ध होगी।