भारत ने सीखा आपदा को अवसर में बदलने का गुर: बंडारू दत्तात्रेय

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गुरुग्राम: हरियाणा के राज्यपाल राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्म निर्भर भारत का जो नारा दिया था वह आज अभियान बन गया है। कोरोना से आई आपदा को देश ने अवसर में बदलकर दुनिया को दिखा दिया कि भारत के लोग किसी भी बदलाव को स्वीकार करने में पीछे नहीं हटने वाले। राज्यपाल शुक्रवार को ‎गुरुग्राम यूनिवर्सिटी में आपदा में अवसर विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि कोरोना से निपटने लिए देश के वैज्ञानिकों ने जिस तरह से काम किया उस पर हमें गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते हुए सबसे पहले कोवैक्सिन 90 देशों को देकर एक इंसानियत की मिसाल कायम की। कोरोना दुनिया के सामने बहुत बड़ा संकट था। इस संकट से लड़ने और इससे छुटकारा पाने के लिए भारत दुनिया में अग्रणी देश बनकर उभरा।

राज्यपाल ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के बारे में कभी सोचा भी नहीं गया था। किसी ने सोचा भी नहीं था कि हम इतनी जल्द इसमें सक्षम हो सकते हैं। कोरोना काल में आई आपदा ने हमें मौका दिया और इस आपदा को अवसर में बदला। उन्होंने कहा कि तकनीक स्वरूप को बदलती है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे रिसर्च मोड में रहें और ज्यादा से ज्यादा अविष्कार करें। पैसों के पीछे नहीं दौड़ें। नए अविष्कार करें, नई तकनीक इजाद करें तो पैसा पीछे पीछे आएगा। बड़ा आदमी बनो लेकिन उसके साथ सामाजिक भी बनो।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि उस दौरान वह हिमाचल प्रदेश में गर्वनर थे। तब उनके साथ कोई नहीं था। परिवार भी नहीं था, लेकिन पीएम मोदी ने देश को एकजुट करने के लिए रात के समय घंटा बजाने के लिए आह्वान किया, मैने भी घंटा बजाया। प्रधानमंत्री ने विश्वास दिलाते हुए घरों में रहने का आह्वान किया था। इसका देशवासियों ने पूरा समर्थन किया। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना काल में हमारे पास मास्क, सेनेटाइजर, पीपीई किट नहीं थे। दूसरे देशों से आते थे। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व ने चमत्कार किया। हमारी ग्रामीण महलाओं ने मास्क बनाकर देश को आत्म निर्भर बनाया। सेनेटाइजर का भी हमें ज्ञान नहीं था, लेकिन हमने तुरंत सीख लिया और सेनेटाइजर बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े।

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राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा हमें सकारात्मकता का कभी त्याग नहीं करना चाहिए। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति कभी अपने लक्ष्य से नहीं डगमगाता। उन्होंने बताया कि दुनिया में तीन तरह के लोग होते हैं। पहला जो काम करना ही नहीं चाहता। दूसरा काम तो करता है लेकिन विघ्न आने पर बीच में ही छोड़ देता है। लेकिन तीसरा व्यक्ति संकटों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को पा लेता है। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिक पहली कड़ी में आने वाले उत्तम लोग हैं। राज्यपाल ने अंत में कहा कि गुरुग्राम यूनिवर्सिटी ने इस तरह की संगोष्ठी का निर्वहन करने में जो काम किया है वह बधाई की पात्र है।

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