पीएम मोदी ने कहा- 100 लाख करोड़ रुपये निवेश के इरादे से बढ़ रहा है भारत

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भारत, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है। आज भारत की नीति, गतिशक्ति की है, दोगुनी-तीन गुनी तेजी से काम करने की है। उन्होंने कहा कि आज की सरकार दुनिया के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती। हम राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम के मंत्र पर चलने वाले लोग हैं।

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को यहां देवभूमि उत्तराखंड को 18 हजार करोड़ रुपये की 18 ढांचागत परियोजनाओं की सौगात देने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है। इसलिए, राज्य का विकास केंद्र और राज्य की ‘डबल इंजन सरकार’ की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की रैली के दौरान केंद्र की यूपीए सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस शताब्दी की शुरुआत में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक अभियान शुरू किया था। हालांकि, उनके बाद 10 साल तक देश में ऐसी सरकार रही जिसने देश और उत्तराखंड का बहुमूल्य समय बर्बाद किया। उन्होंने आगे कहा कि 10 साल तक देश में ‘बुनियादी ढांचे’ के नाम पर घपले और घोटाले होते रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान देश को हुए नुकसान की भरपाई के लिए हमने दोगुनी गति से मेहनत की और आज भी कर रहे हैं। इसी के तहत देश में कनेक्टिविटी ‘महायज्ञ’ चल रहा है। प्रधानमंत्री कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा कि जिस पार्टी की चमक देशभर में ‘घटती’ जा रही है, वह उत्तराखंड को नहीं चमका सकती।

प्रधानमंत्री ने कनेक्टिविटी के लाभों का जिक्र करते हुए कहा कि केदारनाथ त्रासदी से पहले 2012 में 5 लाख 70 हजार लोगों ने दर्शन किए थे। उस समय यह एक रिकॉर्ड था। जबकि कोरोना काल शुरू होने से पहले 2019 में 10 लाख से ज्यादा लोग केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा, “केदार धाम के पुनर्निर्माण से न केवल दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है, बल्कि वहां के लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के कई अवसर भी मिले हैं।”

प्रधानमंत्री ने दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारे की आधारशिला रखने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब यह बनकर तैयार हो जाएगा तो दिल्ली से देहरादून आने-जाने में लगने वाला समय लगभग आधा हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे पहाड़ न केवल आस्था और हमारी संस्कृति के गढ़ हैं, वे हमारे देश की सुरक्षा के किले भी हैं। पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए जीवन को आसान बनाना देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। दुर्भाग्य से दशकों तक जो सरकार में रहे, उनकी नीति-रणनीति में दूर-दूर तक ये चिंतन कहीं था ही नहीं।”

विकास की गति की तुलना करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि 2007 और 2014 के बीच, केंद्र सरकार ने सात वर्षों में उत्तराखंड में केवल 288 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए। जबकि मौजूदा सरकार ने अपने सात वर्षों में उत्तराखंड में 2 हजार किलोमीटर से अधिक का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाया है।

प्रधानमंत्री ने अफसोस जताया कि पहले की सरकारों ने सीमावर्ती पहाड़ी इलाकों के बुनियादी ढांचे पर उतनी गंभीरता से काम नहीं किया जितना उन्हें करना चाहिए था। उन्होंने कहा, “सीमावर्ती पहाड़ी क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पहले की सरकारों ने उतनी गंभीरता से काम नहीं किया, जितना करना चाहिए था। बॉर्डर के पास सड़कें बनें, पुल बनें, इस ओर उन्होंने ध्यान नहीं दिया।”

मोदी ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन, आधुनिक अस्त्र-शस्त्र, आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने जैसे अहम मुद्दों पर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया और इससे हर स्तर पर सेना का मनोबल गिरा था। उन्होंने कहा, “आज जो सरकार है वो दुनिया के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती। हम राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम के मंत्र पर चलने वाले लोग हैं।”

प्रधानमंत्री ने विकास नीतियों में केवल एक जाति, धर्म और भेदभाव को लाड़-प्यार करने की राजनीति की आलोचना की। उन्होंने राजनीति की उस विकृति पर भी प्रहार किया जो लोगों को मजबूत नहीं होने देती और उन्हें उनकी जरूरतों के लिए सरकार पर निर्भर बनाती है। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की सोच को स्पष्ट किया जिसने एक अलग रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा, “यह कठिन मार्ग है, मुश्किल है, लेकिन देशहित में है, देश के लोगों के हित में है। ये मार्ग है – सबका साथ-सबका विकास।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जो भी योजनाएं लाएंगे सबके लिए लाएंगे, बिना भेदभाव के लाएंगे। हमने वोट बैंक की राजनीति को आधार नहीं बनाया बल्कि लोगों की सेवा को प्राथमिकता दी। हमारा दृष्टिकोण देश को मजबूत करने का रहा है। हम लोगों को ‘आत्मनिर्भर’ बनाना चाहते हैं।

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प्रधानमंत्री ने यह आश्वासन देते हुए निष्कर्ष निकाला कि आजादी के अमृत काल के दौरान, देश ने जो प्रगति की रफ्तार पकड़ी है, वह न रुकेगी और न ही थमेगी बल्कि हम और अधिक विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे।

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