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भारत बंद बेअसर, किसानों से ज्यादा सियासी दल दिखे सक्रिय

नई दिल्लीः केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आह्वान पर बुलाया गया भारत बंद बेअसर रहा। यद्यपि बंदी की घोषणा किसानों ने की थी मगर कुछ राज्यों में किसान कम, सियासी दल के लोग ज्यादा सक्रिय दिखे। फिलहाल कुछ छोटी घटनाओं को छोड़ बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। भारत बंद का देशभर में व्यापारिक गतिविधियों और माल के परिवहन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। रोजमर्रा की तरह दिल्ली और देशभर के बाजारों में पूरी तरह से व्यापारिक गतिविधियां चालू रही।

उत्तर प्रदेश। भारत बंद का असर उत्तर प्रदेश बिल्कुल निष्प्रभावी रहा। सड़कों पर गाड़ियां दिनभर फर्राटे भरती दिखीं। प्रमुख बाजार और बैंक भी खुले रहे। पुलिस की मुस्तैदी से कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं आयी। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) के पांच विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) ने धरना दिया। प्रयागराज में सपा कार्यकर्ताओं ने कुछ देर के लिए एक ट्रेन को रोके रखा। बाद में पुलिस ने उन्हें खदेड़कर ट्रेन को रवाना किया। इसी तरह अन्य जिलों में कुछ ऐसी ही स्थिति रही।

पूर्वोत्तर। किसान संगठनों के भारत बंद का पूर्वोत्तर में कोई प्रभाव नहीं दिखा। छिटपुट खासकर असम के कुछ इलाकों में कांग्रेस, केएमएसएस, वामपंथी पार्टियों ने अपना विरोध दर्ज कराया पर आमतौर पर स्थिति सामान्य रही। पहाड़ी राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम व मेघालय में बंद का कोई असर नहीं दिखा।

झारखंड। भारत बंद का झारखंड में मिलाजुला असर दिखा। रांची, जमशेदपुर में बंद प्रभावी नहीं रहा, जबकि धनबाद और संताल इलाके में बंद का असर देखा गया। कुछ छोटी घटनाओं को छोड़ बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। यहां राजीतिक दलों के कुछ मंत्री भी किसानों के समर्थन में उतरे। हालांकि स्थित सामान्य रही।

उत्तराखंड। राज्य में भारत बंद बेअसर रहा। देहरादून के घंटाघर में बंद के समर्थन में जाम लगाने पर कांग्रेस के बड़े नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लेकर पुलिस लाइन ले गई। हिरासत में लिए गए नेताओं में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समते कई नेता शामिल है।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में भी भारत बंद का कोई असर नहीं दिखा। बंद के दौरान कई राज्यों के किसान दिल्ली के बॉडर्स पर डटे रहे। लेकिन यहां स्थिति रोज की तरह सामान्य। हालांकि यातायात को लेकर कुछ परेशानी हुई है। इसके बावजूद दिल्ली के सभी थोक बाजारों एवं रिटेल मार्केट्स में अन्य दिनों की तरह सामान्य रूप से कारोबार होता रहा। इधर, भारत बंद के बीच आम आदमी पार्टी ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घर में नजरबंद करने का मुद्दा बनाते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को घेरने की कोशिश की। हालांकि पुलिस ने सुबह ही इस बात का खंडन कर दिया था। वहीं दिनभर मुख्यमंत्री के आवास पर हाई वोल्टेज ड्रामा जारी रहा।

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में भारत बंद का सुबह से मिलाजुला असर देखने को मिला। मुंबई में बंद का कोई असर नहीं रहा। यहां रेलवे, मोनो, मेट्रो, सडक़ यातायात, बैंक पूरी तरह पूर्ववत खुले हैं लेकिन मुंबई से सटे ठाणे में बंद का असर देखा गया। इसी तरह बुलढ़ाणा जिले में स्थित मलकापुर में स्वाभिमानी शेतकरी (किसान) संगठन के कार्यकर्ताओं ने नवजीवन एक्सप्रेस को रोकने का प्रयास किया। पुलिस ने बंद का नेतृत्व करने वाले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के रवि तुपकर सहित कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है।

ओडिशा। किसान संगठनों के भारत बंद का राज्य में आंशिक असर दिखा। ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने सुबह ही भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों को रोकने का प्रयास किया। इस कारण ट्रेनों की आवाजाही बाधित रही। कुछ स्थानों पर बंद समर्थकों के पिकेटिंग किये जाने से वाहनों की आवाजाही बंद रही। हालांकि आमलोग अपने वाहनों से गंतव्य स्थान पर जाते दिखे। अधिकांश दुकानें बंद हैं लेकिन कुछ स्थानों पर दुकानें खुली भी हैं।

बिहार। आज किसान संगठन सहित तमाम विपक्षी दलों के भारत बंद का असर राजधानी पटना सहित राज्यभर में आंशिक रूप से दिखा। सुबह 6 बजे से ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए जबकि बंद को लेकर प्रशासन 11 बजे से तैयारी कर रहा था। राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीआई सहित अन्य समर्थक दलों के कार्यकर्ता सुबह से ही सड़कों पर उतर गए। इससे बंदी सुबह 6 बजे से ही प्रभावी हो गई। इसका आम जनजीवन पर असर देखने को मिला। ट्रेन और बसों के साथ-साथ दूसरी अन्य सुविधाओं को बाधित करने का प्रयास किया गया। प्रदर्शनकारियों का रुख सुबह से ही उग्र दिखा।

छत्तीसगढ़। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन हुआ। मंगलवार सुबह से कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय सड़क पर उतर कर जो सुबह खुलने वाली दुकानों को बंद करने की अपील कर रहे। हालांकि बहुत असर नहीं रहा यहां के सामान्य जीवन को प्रभावित नहीं किया जा सका।

जम्मू कश्मीर। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के भारत बंद का असर जम्मू में भी दिखा। ट्रांसपोर्टरों के अलावा विपक्षी दलों ने जम्मू शहर के विभिन्न क्षेत्रों में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। आल जे एंड के ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने इस बंद का समर्थन करते हुए चक्का जाम रखा। यातायात सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं। यात्रियों की असुविधा को देखते हुए जेएंडके रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन ने कुछ रूटों पर बसें चलाईं।

कर्नाटक। 'भारत बंद' का कर्नाटक में मिला-जुला असर रहा। बेंगलुरु में कांग्रेस के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, डी के शिवकुमार, रामलिंगारेड्डी और बीजेड ज़मीर अहमद खान समेत कई कांग्रेस नेताओं ने मौर्य सर्कल में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास शहर में धरना दिया।

मध्य प्रदेश। भारत बंद का मध्य प्रदेश में मिला-जुला असर रहा। राजधानी भोपाल, इंदौर समेत सभी जगह बाजार खुले रहे। इस दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने कुछ स्थानों पर प्रदर्शन किया और दुकानें बंद कराई लेकिन कुछ ही देर में दुकानदारों ने पुन: दुकानें खोल दीं। ग्वालियर में आप कार्यकर्ता केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बंगले का घेराव करने पहुंचे थे पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लियाय़ वहीं इंदौर में दिग्विजय सिंह के समर्थन में प्रदर्शन किया गया।

हरियाणा। भारत बंद का हरियाणा में व्यापक असर देखने को मिला। व्यापारिक प्रतिष्ठान व बाजार पूरी तरह बंद रहे। मंडियों में भी खरीद कार्य ठप्प रहा और पेट्रोल पंप मालिकों ने पंपों को बंद कर इसका समर्थन किया। रोडवेज यूनियनों ने भी किसानों के समर्थन में चक्का जाम रखा। इस बीच सिंघु बॉर्डर पर धरनारत एक किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। वहीं हिसार के मय्यड़ में धरने पर बैठे किसानों ने सरकार में सहयोगी जजपा की गाड़ी को रोका और पार्टी झंडे में आग लगा दी। इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यहां केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से उनके आवास पर मुलाकात की।

हिमाचल प्रदेश। भारत बंद का हिमाचल प्रदेश में आंशिक असर ही नजर आया। राज्य के सभी जिलों में अधिकांश बाजार खुले रहे तथा रोजाना की तरह दुकानों में दूध, ब्रेड व सब्जियों की सप्लाई भी पहुंची। सड़कों पर बसें-टैक्सियां फर्राटा भरते नजर आए। निजी बस ऑपरेटरों और अधिकतर व्यापार मंडलों ने बंद में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

पश्चिम बंगाल। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद का बंगाल में भी असर दिखा। वामपंथी दलों, ट्रेड यूनियनों एवं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं सहित किसान संगठनों से जुड़े लोग सुबह से ही बंद को सफल बनाने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़कों पर उतर आए थे। दिनभर विरोध प्रदर्शन होते रहे। जगह-जगह पुलिस‌ से भी टकराव होता रहा। प्रदर्शनकारी कई जगहों पर सड़कों व रेल पटरियों को जाम करने के साथ धरना दिया। निजी वाहन भी सड़कों से नदारद थे। पूर्व रेलवे के सियालदह खंड में जादवपुर और मध्यग्राम और हावड़ा खंड में रिसड़ा और बर्दवान में उन्होंने रेल लाइन भी जाम कर दीं।

तेलंगाना। राज्य में भारत बंद का मिलाजुला असर दिखा। आज सत्तारूढ़ टीआरएस के मंत्री और विधायकों ने किसानों के समर्थन में राज्य के कई छोटे-बड़े शहरों में रैलियां और प्रदर्शन मे हिस्सा लिया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।इसके अलावा कांग्रेस भी इसके समर्थन में सड़कों पर उतरी और विरोध दर्ज कराया।