नई दिल्लीः चीन के साथ गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने उत्तरी सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एक नई हाई-एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज स्थापित की है। यह सेना की पहली हाई-एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज है, जहां से हॉवित्जर तोपों को दागा जा सकेगा और उनकी क्षमताओं को परखा जा सकेगा।
अपनी क्षमताओं को परखेगी भारतीय सेना
भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के महानिदेशक ने कहा कि चीन के साथ उत्तरी सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एक नई फायरिंग रेंज खोली गई है, जहां हम अपनी हॉवित्जर तोपों को दागकर उनकी क्षमताओं को परख सकते हैं। भारतीय सेना की नई फायरिंग रेंज से हॉवित्जर और अन्य महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों की फायरिंग का अभ्यास करने में मदद मिल रही है। आर्टिलरी आधुनिकीकरण योजनाओं पर एक ब्रीफिंग में कहा गया कि यह पहली हाई-एल्टीट्यूड रेंज है और हम अन्य राज्यों में और रेंज खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
खुद को अपडेट कर रही सेना
भारतीय सेना की नई फायरिंग रेंज अरुणाचल प्रदेश में ऐसे समय में स्थापित की गई है, जब चीनी आक्रामकता ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जहां मई-जून 2020 से दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध चल रहा है। आधुनिकीकरण योजनाओं पर अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना की तोपखाना रेजिमेंट निर्धारित समय के अनुसार आधुनिकीकरण कर रही है। सेना की आधुनिकीकरण और क्षमता विकास योजना ‘आत्मनिर्भरता’ अभियान से जुड़ी है।
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सेना के पास 155 मिमी कैलिबर की कई तोपें हैं, अल्ट्रा-लाइट होवित्जर (यूएलएच), के-9 वज्र, धनुष और सारंग सहित हॉवित्जर रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी का हिस्सा हैं। अल्ट्रा-लाइट होवित्जर को उत्तरी सीमा पर तैनात किया गया है, जो वजन में हल्के हैं और इन्हें हेलीकॉप्टरों द्वारा ले जाया जा सकता है। धनुष तोपें बोफोर्स तोपों का इलेक्ट्रॉनिक अपग्रेड हैं, जबकि सारंग तोप प्रणाली को 130 मिमी से 155 मिमी कैलिबर में अपग्रेड किया गया है। निकट भविष्य में और अधिक संख्या में के-9 वज्र, धनुष और सारंग तोप प्रणालियों को शामिल किया जा रहा है। भारतीय सेना एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस), माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस) और टोड गन सिस्टम (टीजीएस) सहित अन्य 155 मिमी गन सिस्टम को भी शामिल करने की प्रक्रिया में है।
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