खत्म हुआ 17 साल का सूखा, विश्व चैंपियन बना भारत

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पूरा देश खुशी से झूम रहा है। आखिर 17 साल का सूखा जो खत्म हुआ है। देवी-देवताओं से की गई प्रार्थना आखिरकार सफल हो गई। 29 जून की रात दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और लखनऊ सहित तमाम शहरों की सड़कों पर जश्न मनाया गया। बारबाडोस में टी-20 विश्व कप की यह खिताबी जीत इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है। भारत ने 2007 में पहला टी-20 विश्व कप धोनी की कप्तानी में जीता था। उसके बाद से यह देश इस बड़ी जीत के लिए तरस रहा था, मगर कप्तान रोहित शर्मा की टीम ने देशवासियों को इतराने का मौका दे दिया है। हमारी पूरी टीम एकजुट होकर खेली और हारता हुआ मैच दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से छीन लिया। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। सूर्यकुमार यादव ने डेविड मिलर का लाजवाब कैच पकड़ कर जीत पर मुहर लगा दी। एक समय लग रहा था कि भारत अब नहीं जीत पाएगा लेकिन जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या के ओवर से मैच पलट गया।

विराट कोहली की खूब आलोचना हो रही थी। वह लगातार नाकाम हो रहे थे, पर जैसा कि कप्तान रोहित ने कहा था कि विराट ने फाइनल के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ बचा कर रखा है, वह बात सही साबित हो गई। विराट कोहली की 76 रनों की शानदार पारी के दम पर ही भारत मजबूत स्कोर खड़ा कर सका। कोहली ने इसके बाद टी-20 से संन्यास का ऐलान भी कर दिया। यही नहीं, कप्तान रोहित ने भी इस प्रारूप को अलविदा कह दिया है। देखा जाए तो यह सही निर्णय है। इन दोनों खिलाड़ियों की उम्र 40 के करीब पहुंच रही है। ऐसे में अब युवाओं को मौका देना चाहिए। रोहित और विराट के फैसले की सराहना की जानी चाहिए। इससे अच्छी विदाई नहीं हो सकती। दिग्गज स्पिनर रविंद्र जडेजा ने भी टी-20 क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। उनके लिए भी यह जीत यादगार बन गई है।

कप्तान रोहित शर्मा ने विश्व कप में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी का जो नमूना पेश किया है, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। पावरप्ले में तेज रन बनाकर उन्होंने मजबूत नींव तैयार की। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सुपर-8 के मैच में रोहित ने 92 रनों की जोरदार पारी से अपनी जीत की पटकथा लिख दी थी। भारतीय टीम ने कंगारू टीम से 19 नवंबर 2023 को अहमदाबाद में वनडे विश्व कप में मिली हार का बदला भी ले लिया। रोहित ने अपने खेल से बहुत प्रभावित किया है। उनकी कप्तानी भी असरदार रही। अपने गेंदबाजों का बेहतर ढंग से इस्तेमाल करके उन्होंने भारत को World Champion बना दिया। विपक्षी टीम रोहित से घबराती रही। इस विश्व कप में भारतीय गेंदबाजों का ऐसा दबदबा रहा कि विरोधी टीमों ने घुटने टेक दिए। अपनी गेंदबाजी के बूते ही हम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों का मानमर्दन कर सके।

पाकिस्तान के विरुद्ध 119 रन के कम स्कोर का बचाव करते हुए भारत अपनी पैनी गेंदबाजी के बल पर ही जीत सका। सभी मैचों में तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और अर्शदीप सिंह ने बहुत अच्छी गेंदबाजी की। अर्शदीप ने 08 मैचों में 17 तो बुमराह ने इतने ही मैचों में 15 विकेट चटकाए। बुमराह को टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया। अर्शदीप ने अमेरिका के खिलाफ हुए मैच में 09 रन देकर 04 विकेट झटके। यह दमदार प्रदर्शन था। बतौर आलराउंडर हार्दिक पांड्या ने इनका अच्छा साथ दिया। उन्होंने 11 विकेट निकाले। बांग्लादेश के विरुद्ध मैच में 50 रन बनाकर पांड्या ने टीम को संकट से उबारा भी। जहां तक हमारी स्पिन गेंदबाजी की बात है तो कुलदीप और अक्षर पटेल ने विरोधी टीमों को खूब नचाया। हालांकि, फाइनल मुकाबले में ये दोनों पिट गए लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच जिताने में इन दोनों की मुख्य भूमिका रही।

जडेजा के लिए यह विश्व कप ठीक नहीं रहा। उन्होंने केवल एक विकेट लिया और रन बनाने में भी वह नाकाम रहे। पिछले टी-20 विश्व कप में सेमीफाइनल में ही इंग्लैंड ने भारत को 10 विकेट से पराजित किया था और इस बार हमारी टीम ने सूद समेत बदला चुका लिया। एडिलेड में मिली वह हार बहुत शर्मनाक थी, मगर गुयाना में 27 जून को हुए सेमीफाइनल में रोहित की अगुवाई में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 68 रन से पीट दिया। भारतीय गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। अक्षर पटेल और कुलदीप यादव ने 3-3 विकेट लेकर अंग्रेज बल्लेबाजों को पस्त कर दिया। स्पिन गेंदबाजी हमारी ताकत रही है और इसके आगे सभी विपक्षी टीमों ने घुटने टेके हैं। अक्षर इस टूर्नामेंट में बतौर आलराउंडर काफी उपयोगी रहे हैं।

उलटफेर के लिए याद रहेगा यह World cup

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इस विश्व कप को कुछ उलटफेर के लिए याद रखा जाएगा। अफगानिस्तान ने सुपर-8 में ऑस्ट्रेलिया को हरा कर सबसे बड़ा उलटफेर किया। उसने बांग्लादेश को भी हराया। लीग चरण में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान की टीमें कमजोर टीमों से हार गईं और नई नवेली टीम अमेरिका सुपर-8 में प्रवेश कर गई। भाग लेने वाले देशों के लिहाज से यह सबसे बड़ा विश्व कप था क्योंकि इस बार 20 टीमों ने इसमें हिस्सा लिया। इन टीमों को चार ग्रुप में बांटा गया था। हर ग्रुप से दो टीमों ने सुपर-8 में प्रवेश किया। हैरानी की बात यह कि पहली बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाली अमेरिका की टीम इस चरण में प्रवेश कर गई। अमेरिका विश्व कप का सह मेजबान था, जो आमतौर पर क्रिकेट नहीं खेलता मगर उसकी टीम ने सुपर-8 में प्रवेश कर सबको चैंका दिया। इस बार कई उलटफेर देखने को मिले।

अमेरिका जैसी नौसिखिया टीम ने सुपर ओवर में पाकिस्तान को हरा दिया। इसी तरह अफगानिस्तान ने श्रीलंका और न्यूजीलैंड को हरा दिया। इससे कुछ मजबूत टीमों का सफर आगे नहीं बढ़ सका। भला किसने सोचा होगा कि न्यूजीलैंड लीग चरण में हार कर ही विश्व कप से बाहर हो जाएगी। पाकिस्तान की किस्मत भी खराब थी कि वह सुपर-8 से बाहर हो गया। गनीमत रही कि दक्षिण अफ्रीका उलटफेर का शिकार होने से बच गया। नेपाल की टीम रोमांचक मुकाबले में एक रन से उससे हार गई। आखिरी गेंद पर नेपाल को जीत के लिए दो रन चाहिए थे। अगर ऐसा हो जाता, तो दक्षिण अफ्रीकी टीम हार जाती।

अफगानिस्तान ने जीता सबका दिल

अफगानिस्तान की टीम ने सेमीफाइनल में प्रवेश करके सबका दिल जीत लिया। हालांकि, 27 जून की सुबह दक्षिण अफ्रीका ने सेमीफाइनल के मुकाबले में उसे 09 विकेट से हरा दिया, मगर सेमीफाइनल खेलना ही उसके लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। जिस देश में खेल का कोई ढांचा न हो, एक अदद स्टेडियम न हो, आतंकवाद के कारण सब कुछ तहस-नहस हो गया हो, वहां के खिलाड़ियों ने कमाल कर दिया है। कप्तान राशिद खान की अगुवाई में अफगान लड़ाकों ने मजबूत टीमों की नाक में दम कर दिया। भारत के प्रति उनका प्यार जगजाहिर है। दरअसल, बीसीसीआई ने अफगानिस्तान की टीम को खेलने और अभ्यास करने के लिए भारतीय मैदान उपलब्ध कराया। लखनऊ का इकाना स्टेडियम भी उनमें से एक है। अफगानी खिलाड़ी भारत को अपना दूसरा घर मानते हैं।

आईपीएल में खेलने की वजह से भी उनके खेल में निखार आया है। सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद अफगान खिलाड़ियों की आंखों में खुशी के आंसू देखे गए। वास्तव में यह टीम बधाई की हकदार है। उनके सेमीफाइनल में पहुंचने से घमंड से भरी ऑस्ट्रेलियाई टीम विश्व कप से बाहर हो गई। इससे भारतीयों को भी बहुत खुशी हुई। न्यूयार्क की खराब पिच को लेकर खूब चर्चा हुई। खिलाड़ियों के लिए यह एक अबूझ पहेली बन गई थी। यहां के नसाउ काउंटी के मैदान पर रन बनाना कठिन हो गया था। 20 ओवर में मुश्किल से 100 या 125 के आस-पास रन बन रहे थे। दोषपूर्ण पिच के बारे में आईसीसी से भी शिकायत की गई। आयरलैंड के साथ भारत के मैच के दौरान कई खिलाड़ियों के शरीर पर गेंद लगी। असमान उछाल वाली ऐसी पिच क्यों बनाई गई, इस पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, ये पिचें बाहर से लाकर यहां स्थापित की गई हैं। इन्हें ड्रॉप इन पिच कहा गया। अमेरिका में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए इस बार उसे विश्व कप का सह मेजबान बनाया गया था, लेकिन जिस मैदान पर मैच हुए, उससे कोई उम्मीद नहीं बनती। बल्लेबाजों को अपना कौशल दिखाने का मौका ही नहीं मिला।

बिना कोई मैच गंवाए World cup जीतने वाली पहली टीम

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भारत पूरे टूर्नामेंट में बिना कोई मैच गंवाए टी-20 विश्व कप जीतने वाली पहली टीम बना है। भारत ने टूर्नामेंट में खेले सभी आठ मैच जीते और उनका ग्रुप चरण में कनाडा के खिलाफ मैच बारिश से धुल गया था। भारत टी20 विश्व कप दूसरी बार जीतने वाली तीसरी टीम बन चुका है। वेस्टइंडीज ने यह कारनामा सबसे पहले किया था और फिर इंग्लैंड ने भी इसे दोहराया था। नौ खिलाड़ी दो टी20 विश्व कप फाइनल जीत का हिस्सा रह चुके हैं, रोहित इस लिस्ट में शनिवार को शामिल हुए। डैरेन सैमी, मार्लोन सैमुअल्स, क्रिस गेल, जॉनसन चाल्र्स, ड्वेन ब्रावो, सैमुअल बद्री, आंद्रे रसेल और दिनेश रामदीन दो टी20 विश्व कप फाइनल जीत का हिस्सा रह चुके हैं।

भारत का फाइनल में 176/7 का स्कोर पुरुष टी20 विश्व फाइनल में किसी टीम द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर है। न्यूजीलैंड के खिलाफ लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया द्वारा बनाए गए 173/2 इससे पहले सर्वोच्च स्कोर थे। 23 गेंदों में हेनरिक क्लासेन ने अपना अर्धशतक पूरा कर लिया था और यह पुरुष विश्व कप फाइनल में लगाया गया सबसे तेज अर्धशतक है। इससे पहले 31 गेंदों में मिचेल मार्श ने 2021 टी20 विश्व कप फाइनल में लगाया था। 16 बार प्लेयर ऑफ द मैच विराट कोहली टी20 में हासिल कर चुके हैं, जो इस फॉर्मेट में किसी खिलाड़ी के लिए सर्वाधिक है। कोहली के 16 में से आठ अवॉर्ड पुरुष टी20 विश्व कप में आए हैं, जबकि किसी अन्य ने पांच से अधिक नहीं हासिल किए हैं। 37 साल, 60 दिन की उम्र में रोहित टी20 विश्व कप जीतने वाले सबसे उम्रदराज कप्तान बने हैं। वह इमरान ख़ान (39 साल, 172 दिन) के बाद आईसीसी टूर्नामेंट का फाइनल जीतने वाले दूसरे सबसे अधिक उम्र के कप्तान भी बने हैं। 49 जीत रोहित को भारत के कप्तान के तौर पर मिली हैं। उन्होंने 62 मैचों में भारत की कप्तानी की और अब सर्वाधिक टी20 जीत हासिल करने वाले कप्तान बन गए हैं।

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02 खिलाड़ी कोहली को मिलाकर तीनों आईसीसी टूर्नामेंट फ़ाइनल जीत का हिस्सा रह चुके हैं। धोनी ऐसा करने वाले पहले खिलाड़ी थे और उन्होंने कप्तान के रूप में यह किया था। कप्तान रोहित शर्मा, पूर्व कप्तान विराट कोहली और रविंद्र जडेजा अब टी-20 फॉर्मेट में खेलते हुए नहीं दिखेंगे। इनकी कमी तो अवश्य खलेगी लेकिन युवाओं को मौका देने के लिहाज से इन्होंने उचित निर्णय किया है। भारत के पास इस समय युवाओं की फौज है, जो अपने अवसर का इंतजार कर रही है। बीसीसीआई को रोहित और विराट की जगह युवाओं को मौका देना होगा। देश में इस समय प्रतिभावान खिलाड़ियों की कमी नहीं है। आईपीएल एक ऐसा मंच है, जहां ढेर सारे युवा खेलकर राष्ट्रीय टीम में आने के लिए दरवाजा खटखटा रहे हैं। यशस्वी जायसवाल, रिंकू सिंह, शिवम दुबे और अर्शदीप जैसे युवाओं ने आईपीएल के माध्यम से ही भारतीय टीम में जगह बनाई है इसलिए भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

आदर्श प्रकाश सिंह

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