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मेडिकल क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बना भारत, देश में बन रहीं कोरोना की 3 वैक्सीन

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नई दिल्लीः देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है, तो फिर चिकित्सा का क्षेत्र कैसे छूट सकता है। भारत ने कोरोना के संकट में वायरस के खिलाफ लड़ाई में आने वाली चुनौतियों का न सिर्फ पूरी दृढ़ता से मुकाबला किया, बल्कि चिकित्सा तंत्र को मजबूत भी किया। कुछ वर्षों पूर्व तक भारत में वायरस संबंधी एक प्रयोगशाला, नेशलन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे थी, लेकिन आज इनकी संख्या बढ़कर दो हजार से ज्यादा हो गई है। इसके अलावा देश में कोरोना की एंट्री के बाद पीपीई किट और एन-95 मास्क आदि उपकरणों को निर्यात करने के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

पीपीई किट-एन95 मास्क

कोरोना वायरस से शुरूआती लड़ाई में पीपीई किट और एन95 मास्क के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहने वाले भारत ने नया रिकॉर्ड बनाया है। उस समय तक कई विकसित देश भी कोरोना से लड़ने के इन सबसे कारगर हथियारों की तंगी झेल रहे थे। कोरोना संकट के सामने आने से पहले भारत पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानी पीपीई किट नहीं बनाता था। महामारी की शुरूआती दिनों में ही भारत ने रोजाना 2,00,000 से अधिक पीपीई किट बनाने शुरू कर दिए। अगर बात जनवरी 2020 की करें तो उस समय तक देश में सिर्फ 2,75,000 किट ही उपलब्ध थे और यह सभी आयातित थे।

उसके बाद से स्थितियां अचानक बदली और कोरोना महामारी आने के सिर्फ 60 दिनों के अंदर ही भारत ने पीपीई किट बनाने में महारत हासिल कर ली। दिसंबर 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की कि भारत दुनिया भर में पीपीई किट का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है, जिसमें 1,100 से अधिक निर्माताओं द्वारा 4.5 लाख इकाइयों का उत्पादन किया जा रहा है। विदेश व्यापार महानिदेशालय की एक अधिसूचना के अनुसार, 25 अगस्त 2020 को 50 लाख एन95 मास्क और 20 लाख मेडिकल चश्मे के निर्यात की अनुमति दी गई थी। वर्तमान में देश में एन95 मास्क के 241 निर्माता हैं।

वैक्सीन का निर्माण

भारत ने कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में नया कीर्तिमान रचाा है। देश में कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 करोड़ के पार पहुंच गया है। भारत में अब तक कोविड वैक्सीन की 100 करोड़ से ज्यादा डोज लोगों को लग चुकी है। भारत ने करीब 11 महीने पहले 16 जनवरी 2021 को कोविड वैक्सीनेशन शुरू किया था और 21 अक्टूबर 2021 को 279 दिन में ही यह रिकॉर्ड बना दिया। दुनिया भर में अब तक तैयार हुईं कोरोना की 8 में से 3 वैक्सीन जो भारत में बनायी जा रही हैं, उन्हें ही इस्तेमाल की मंज़ूरी मिली है। इसके अलावा दो वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती चरण में हैं और तीन वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के अंतिम चरणों में हैं।

भारत के पास फिलहाल तीन वैक्सीन हैं, जिन्हें इस्तेमाल किये जाने की आधिकारिक मंज़ूरी मिल चुकी है। इनमें से दो वैक्सीन भारत में ही बनी हैं- एक है कोविशील्ड और दूसरी है कोवैक्सीन। कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है। इस वैक्सीन का लाइसेंस एस्ट्राजेनेका नामक दवा कंपनी के पास है, वहीं भारतीय कंपनी भारत बायोटेक ने आईसीएमआर की मदद से कोवैक्सीन तैयार की है, जिसका उत्पादन भी भारत में हो रहा है।

कोवीसेल्फ किट

आईसीएमआर ने घर में कोरोना का टेस्ट करने के लिए एक रैपिड एंटीजन टेस्ट किट को मंजूरी दे दी है। यह टेस्टिंग किट पुणे की मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशन कंपनी बना रही है। इस किट के जरिए लोग सिर्फ 2 मिनट में खुद टेस्टिंग कर 15 मिनट में रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं। होम टेस्टिंग किट एक रैपिड एंटीजन टेस्ट किट है, जिसे कोवीसेल्फ नाम दिया गया है। इस किट का इस्तेमाल लोग खुद अपना कोरोना टेस्ट करने के लिए कर सकेंगे। आप कोविसेल्फ किट की मदद से अपना कोरोना टेस्ट घर बैठे कर सकते हैं।

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