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भगवान गणेश की इको-फ्रेंडली मूर्तियों को स्थापित करने का बढ़ा चलन

नई दिल्ली: कारोबारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि दस दिवसीय गणेश उत्सव के साथ इस साल के त्योहारी सीजन की शुरुआत हो गई है। इस त्योहारी सीजन में व्यापारियों को बड़े कारोबार होने की उम्मीदें हैं। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बुधवार को यह बात कही।

खंडेलवाल ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष देशभर में भगवान गणेश की 20 करोड़ से ज्यादा मूर्तियां खरीदी जाती हैं, जिससे अनुमानित 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार होता है। पिछले दो साल से देशभर में गणपति की इको-फ्रेंडली मूर्तियों को स्थापित करने का चलन तेजी से बढ़ा है। इससे पहले चीन से बड़े पैमाने पर भगवान गणेश की प्लास्टर ऑफ पेरिस, स्टोन, मार्बल तथा अन्य सामानों से बनी मूर्तियों का आयात होता था। सस्ती होने के कारण इन प्रतिमाओं का आयात होता था, लेकिन पिछले दो साल में कैट के चीनी वस्तुओं के बहिष्कार अभियान के चलते चीन से भगवान गणेश की मूर्तियों का आयात बंद हो गया है। इसकी जगह पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों को स्थापित करने का चलन बढ़ा है।

खंडेलवाल ने कहा कि स्थानीय शहरों के शिल्पकार, कारीगर, कुम्हार तथा उनके परिवार की महिलाएं मिट्टी एवं गोबर से गणेश जी की मूर्तियां बनाते हैं, जिनका विसर्जन आसानी से हो जाता है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है। इन मूर्तियों की वजह से देशभर में लाखों लोगों को रोजगार और कारोबार मिलता है। उन्होंने कहा कि 31 अगस्त से 09 सितंबर तक देशभर में गणेश उत्सव जोरदार तरीके से मनाया जाएगा। मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में यह त्योहार विशेष रूप से बेहद धूमधाम से मनाया जाएगा। इन सभी राज्यों में गणपति के बड़े पंडाल लगते हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग आकर गणेश जी के दर्शन करते हैं। उन्होंने बताया कि कैट ने देशभर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान को इसी दिन शुरू किया था। इसी के तहत व्यापारियों ने अपने-अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की।

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