महाराष्ट्र में लगातार बढ़ रही मुश्किलें, कई जिलों में हो रही बिजली कटौती

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मुंबईः महाराष्ट्र में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट गहरा गया है। 2300 से 2500 मेगावाट बिजली की कमी की वजह से राज्य के कुछ जिलों में बिजली कटौती की जा रही है। कोयले की कमी इसी तरह बनी रही तो आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है। ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने भरोसा दिलाया है कि सरकार हालात से निपटने के हर संभव प्रयास कर रही है। ऊर्जा मंत्री राऊत का आरोप है कि केंद्र से राज्य हिस्से का कोयला कम मिलता है। महाराष्ट्र की मुश्किलें बढ़ाने के लिए कोयला और गैस नहीं दी जा रही है। हमें कर्ज भी नहीं लेने दिया जा रहा है। लगता है कि राज्य के बिजली क्षेत्र का निजीकरण करने के लिए यह सब किया जा रहा है।

महाराष्ट्र सरकार ने गुजरात की टाटा बिजली उत्पादन परियोजना से 700 मेगावाट बिजली खरीदने का निर्णय लिया है। उम्मीद है आनेवाले सप्ताह से हमें बिजली मिलने लगेगी। ऊर्जा विभाग और महावितरण कंपनी के अनुसार मौजूदा समय में राज्य में बिजली की मांग बढ़कर 28,600 मेगावाट तक पहुंच गई है। इसी अवधि में पिछले साल बिजली की मांग 25,600 मेगावाट थी। मांग और आपूर्ति को बैलेंस करने के लिए बिजली कटौती करनी पड़ रही है। हालांकि इसमें मुंबई और ठाणे सहित प्रमुख शहर शामिल नहीं है।

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बिजली कटौती उन्हीं हिस्सों में की जा रही है, जहां बिजली चोरी अधिक होती है या बिजली बिलों का भुगतान नहीं हो रहा है। महानिर्मिती के पास केवल तीन से चार दिनों का कोयले का स्टॉक बचा है। कुछ बिजली परियोजनाएं तकनीकी गड़बड़ियों के चलते बंद हैं। इनकी बिजली उत्पादन क्षमता 2600 मेगावाट है। खुले बाजार में बिजली की दर 12 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई है। बिजली की उपलब्धता को देखते हुए खुले बाजार से भी 12 रुपये की दर से बिजली मिलना मुश्किल हो रहा है। ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य में बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन 1 लाख 35 हजार मीट्रिक टन कोयला लगता है। जल विद्युत परियोजनाओं से भी एक सीमित दायरे तक ही बिजली का उत्पादन हो सकता है। गैस की आपूर्ति कम होने से उरण और एन.टी.पी.सी. में बिजली उत्पादन 800 मेगावाट कम हो गया है।

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