Wednesday, January 1, 2025
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeउत्तर प्रदेशदवा छिड़कने के लिए नहीं मिल रहे टैंकर, आम में बढ़ रहा...

दवा छिड़कने के लिए नहीं मिल रहे टैंकर, आम में बढ़ रहा फंगस का खतरा

tankers-not-available-to-spray

लखनऊ : यह साल आम के लिए तमाम मुश्किलों भरा साबित हो रहा है। इस साल आम सीजन के शुरूआती दिनों में ही मौसम की चाल खराब रही है। अब इसे कई रोगों ने आम को अपनी चपेट में ले लिया है। इसको लेकर आम कारोबारी काफी परेशान हैं, क्योंकि तमाम किसानों की आय का मुख्य स्रोत आम ही है। आम के बागों में फंगस रोग पैर पसार चुका है। इससे मुक्ति के लिए किसानों को चाहकर भी संसाधन नहीं मिल रहे हैं। परिणाम यह है कि कच्चा आम अपनी बढ़वार से पहले ही गिर रहा है।

काकोरी, कलियाखेड़ा, मलिहाबाद, पिपरसंड, जेतीपुर, रहीमाबाद आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें किसान करीब चार माह तक आम से हो रही कमाई पर निर्भर रहता है। आम में जाली पड़ने से पहले ही वह अमिया तोड़ने लगता है। खटाई और अचार के अलावा सहालग में अमिया की काफी खपत रहती है। किसान यह खपत तो किसी तरह कर रहा है, लेकिन बड़ा कारोबार आम के पकने पर होता है। इससे पहले ही बागों में फंगस रोग फैल चुका है। बागों में दवा छिड़कने के लिए किसानों को टैंकर किराए पर भी नहीं मिल रहे हैं। मुंहमांगी कीमत के कारण भी तमाम किसान आम को उनके हाल में ही छोड़ने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

शहरों में हो रहा इस्तेमाल –

मलिहाबाद से तमाम अन्य स्थानों पर टैंकर पहुंचाए जाते हैं, लेकिन साल-दर-साल इन टैंकरों की कमी हो रही है। जो टैंकर यहां हैं, वह क्षेत्र में आम की धुलाई के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। कुछ टैंकर पुराने होने पर कबाड़ में या फिर मरम्मत कराने के बाद अन्य क्षेत्रों में बेच दिए जाते हैं। यह टैंकर लखनऊ के शहरीकरण में खपाए जा रहे हैं। शहर से सटे रिंग रोड के इर्द-गिर्द कंस्ट्रक्शन कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है। सैकड़ों की संख्या में हर रोज प्लाट की बाउंड्री कराई जा रही है, जबकि तमाम नए मकान भी बनाए जा रहे हैं। इनमें जहां कहीं भी पानी की व्यवस्था नहीं है, वहां लोग टैंकर से ही पानी मंगवाते हैं।

कंस्ट्रक्शन में रहती है मांग –

इसके अलावा समस्या यह भी है कि आम की धुलाई या फिर दवा का छिड़काव कराने के लिए रोज काम नहीं मिल पाता है, जबकि कंस्ट्रक्शन में हर दिन टैंकर की बुकिंग हो जाती है। महीने में 15,000 रूपए पर एक टैंकर की बुकिंग होती है। एक दिन के लिए छोटे आकार के टैंकर पर 400 तथा बड़े टैंकर पर 600 रूपए फिक्स रहते हैं। यही कारण है कि मालिकों ने ज्यादातर अपने टैंकर आम के कारोबार से हटाकर कंस्ट्रक्शन कार्य पर लगवा दिए हैं। इससे आम की पैदावार पर बड़ा असर पड़ रहा है। छोटी पिट्ठू मशीनों से पूरे पेड़ पर दवा का छिड़काव नहीं हो पाता है। इससे फंगस को फैलने का मौका मिल रहा है।

ये भी पढ़ें..अब मेजों पर नहीं दिखेंगी फाइलें, डीसी कार्यालय बिलासपुर होगा पेपरलेस

पैर पसार रहा है फंगस –

आम की फसल में आए फंगस रोग को पैर पसारने का मौका मिल चुका है। इसी का परिणाम है कि पेड़ों से कच्चा फल झड़ रहा है। कलियाखेड़ा निवासी कई लोग कांशीराम काॅलोनी सदरौना में अन्य कारोबार कर रहे हैं। यह मौका निकालकर आम के बागी की रखवाली भी करते है। होटल कारोबारी रोहित यादव कहते हैं कि दवा का छिड़काव देर से हो पाया है। यही कारण है कि कीटनाशक का स्प्रे करने के बावजूद कच्चा फल टूटकर गिर रहा है। जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका कहना है कि इस बार तो फसल में काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। फंगस रोग को फैलाने वाले कीट को मैंगो होपर के नाम से जाना जाता है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

 

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें