आयकर विभाग ने हैदराबाद में की छापेमारी, 300 करोड़ रुपये के काला धन का लगाया पता

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नई दिल्ली: आयकर विभाग ने हैदराबाद स्थित एक समूह पर तलाशी एवं जब्ती अभियान चलाया। समूह रियल एस्टेट, निर्माण, अपशिष्ट प्रबंधन और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में कारोबार करता है। समूह के अपशिष्ट प्रबंधन का कारोबार पूरे भारत में फैला हुआ है। जबकि रियल एस्टेट गतिविधियां मुख्य रूप से हैदराबाद में केंद्रित हैं।

तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कई सारे खुलेशीट आदि जब्त किए गए, जो बेहिसाब लेनदेन में समूह की संलिप्तता को साबित करते हैं। यह पाया गया कि समूह ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अपनी अधिकतम हिस्सेदारी, समूह की सिंगापुर स्थित एक नॉन रेजिडेंट इकाई को बेच दी थी और बड़ी मात्रा में पूंजीगत लाभ का फायदा उठाया था।

समूह ने बाद में संबंधित पार्टियों के साथ शेयर खरीद/बिक्री/नॉन आर्म लेंथ वैल्यूड सब्सक्रिप्शनऔर बाद में बोनस जारी करने जैसी आकर्षक योजनाओं के जरिए उस लाभ को हस्तांतरित कर दिया। उसने ऐसा कैपिटल गेन के जरिए अर्जित कमाई को नुकसान के रूप में दिखाने के लिए किया, जो आपत्तिजनक साक्ष्य/दस्तावेज बरामद किए गए हैं, वह साबित करते हैं कि संबंधित कैपिटल गेन को समायोजित करने के लिए कृत्रिम नुकासन दिखाया गया। तलाशी अभियान में लगभग 1200 करोड़ रुपये का कृत्रिम नुकसान का पता चला है, जिस पर कर की देनदारी बनती है।

इसके अलावा तलाशी के दौरान यह भी पाया गया कि समूह ने गलत तरीके से 288 करोड़ रुपये के ऋण का दावा भी किया। इसके लिए रिलिटेड पार्टी ट्रांजेक्शन के जरिए अर्जित किए गए लाभ को छुपाया गया। तलाशी के दौरान इस कृत्रिम/गलत दावे से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज भी पाए गए हैं।

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तलाशी की कार्रवाई में समूह के एसोसिएट्स के साथ बेहिसाब नकद लेनदेन का भी पता चला है और इसकी मात्रा और तौर-तरीकों की जांच की जा रही है। तलाशी एवं जब्ती अभियान और विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेजों की प्राप्ति के आधार परसमूह की कंपनियों और उसके एसोसिएटों ने 300 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय होने की बात स्वीकार की है। इसके अलावा समूह बकाया करों का भुगतान करने के लिए भी सहमत हुआ है। इस संबंध में आगे की जांच जारी है।