नई दिल्ली: कर्नाटक के उड्डपी में एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब का मुद्दा धीर-धीरे पूरे देश में ट्रेंड करने लगा है। राजनीतिक दलों से लेकर आम आदमी तक इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है। स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम छात्रों को हिजाब पहनना चाहिए कि नहीं ये मामला सड़क से लेकर अदालत तक बहस का मुद्दा बन गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। जहां अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं और सभी धर्मों को एक समान अधिकार है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 80 फीसदी हिंदू निवास करते हैं, 15 प्रतिशत लोग इस्लाम को मानते हैं साथ ही लाखों क्रिश्चियन, सिख, बौद्ध और जैन भी यहां रहते हैं।
सभी धर्मों की अपनी-अपनी अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं हैं। हर धर्म में महिलाओं के सिर ढंकने की प्रथा है। मुस्लिम महिलाओं में हिजाब, बुर्का या नकाब पहनने की प्रथा है तो हिंदू, जैन और सिख औरतें भी पर्दा कर अपना सिर ढंकती है। ईसाई महिलाओं में भी सिर ढंकने की प्रथा है।
इसी को लेकर अमेरिका में स्थित Pew Research Centre ने 2019-20 में एक सर्वे किया था। इस सर्वे की रिपोर्ट जून 2021 में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में भारतीय महिलाओं के सिर ढंकने को लेकर भी सर्वे किया गया था। इस सर्वे में भारत के सभी राज्यों की करीब 30 हजार महिलाओं को शामिल किया गया था।
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इस सर्वे में सामने आया था कि घर के बाहर महिलाओं में सिर ढंकने की बात आम है। सर्वें में कहा गया कि 89% मुस्लिम महिलाएं घर से बाहर निकलते समय अपना सिर ढंकती हैं, यानी वो हिजाब, बुर्का या नकाब करके घर से निकलती हैं। मुस्लिम महिलाओं के बाद 86% सिख महिलाओं ने घर से बाहर आने पर सिर ढंकने की बात मानी थी। वहीं घर के बाहर सिर ढंकने वाली हिंदू महिलाएं 60% थीं। जबकि, बौद्ध धर्म मानने वाली 30% महिलाएं और 21% ईसाई औरतें अपना सिर ढंकती हैं।
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