रांची : यह झारखंड के अस्पतालों की कुव्यवस्था और जनमानस में अंधविश्वास की गहरी जड़ों को उजागर करती हैरान करने वाली खबर है। राज्य के गुमला जिले में सांप के डसने की वजह से गंभीर हालत में सदर हॉस्पिटल के आईसीयू में दाखिल करायी गयी एक महिला लगभग तीन घंटे तक तांत्रिकों के हवाले रही। तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक के जरिए सर्पदंश के इलाज का दावा करने वालों को झारखंड में ओझा-भगत कहते हैं। ऐसे तीन-चार ओझा-भगत आईसीयू में अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी महिला के साथ तंत्र-मंत्र करते रहे और हॉस्पिटल प्रबंधन मूकदर्शक बना रहा। जब उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो परिजन उसे लेकर रिम्स के लिए रवाना हुए।
बताया गया कि सदर प्रखंड के आंबुआ गांव निवासी शक्ति नायक की पत्नी अर्चना देवी (25) को सांप ने डस लिया। परिजनों ने उसे सदर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया, लेकिन गंभीर स्थिति देखते हुए चिकित्सक डॉ मनोज सुरीन ने उसे रिम्स, रांची के लिए रेफर कर दिया था। इसके बाद परिजन उसे रांची ले जाने के बजाय हॉस्पिटल में ही ओझा-भगत का बुलाकर झाड़-फूंक कराने लगे। शिलम गांव से आये तांत्रिक अगरबत्ती जलाने के बाद मरीज की पीठ पर थाली चिपकाकर मंत्र पढ़ते रहे। यह टोना-टोटका तीन घंटे तक चलता रहा। आईसीयू में भर्ती मरीज और परिजन भी यह सब झेलते रहे।
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तीन दिन पहले भी इस हॉस्पिटल में ऐसा ही वाकया सामने आया था। हुरहुरिया गांव के एक बालक की सर्पदंश से पुत्र की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने उसके जीवित हो उठने की आस में सदर अस्पताल परिसर में ओझा-भगत से घंटों झाड़-फूंक करायी थी। चिकित्सक डॉ मनोज सुरीन का कहना है कि उन्होंने सर्पदंश के मरीजों का इलाज हॉस्पिटल में उचित देखरेख में कराने की अपील करते हैं, लेकिन अंधविश्वास के चलते लोग यहां डॉक्टरों की सलाह की अनदेखी कर देते हैं। इस वजह से मरीज और गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं।
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