नई दिल्लीः विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने समय की कसौटी पर खरी उतरी भारत-रूस मैत्री और सहयोग को आगामी वर्षों में अधिक मजूबत बनाने का संकल्प व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के व्यापारिक संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। दोनों देश 30 अरब डॉलर द्विपक्षीय व्यापारिक लक्ष्य को हासिल करने की ओर अग्रसर हैं। जयंशकर ने अपनी दो दिवसीय मास्को यात्रा के पहले दिन मंगलवार को विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय और विश्व मामलों पर वार्ता की तथा रूस के उप प्रधानमंत्री और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ भारत-रूस व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकि और सांस्कृतिक सहयोग, अंतर सरकारी आयोग(आईआरआईजीसी-पीईसी) की सह अध्यक्षता की।
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दोनों अवसरों पर अपने प्रारंभिक संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय संबंध लगातार बढ़ रहे है। इन आर्थिक सहयोग संबंधों में दूरगामी स्थिरता के लिए जरूरी है कि इन्हें संतुलित और टिकाऊ बनाया जाए। रूस के खिलाफ अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के व्यापक आर्थिक प्रतिबंद्धों के बीच जयशंकर रूस की यात्रा पर हैं। इस दौरान वे प्रतिबंद्धों के बावजूद द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाए रखने के उपायों पर चर्चा करेंगे। विदेश मंत्री ने आशा व्यक्त की कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार के 30 अरब डॉलर के लक्ष्य को शीघ्र ही पूरा कर लेंगे।
उल्लेखनीय है कि दोनों देशों ने वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब डॉलर करने का निश्चय किया था। लेकिन अब यह लक्ष्य अगले वर्ष 2024 में ही पूरा होने की संभावना है। इस वर्ष फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल और उर्वरक का आयात किया है। इससे द्विपक्षीय व्यापार में उझाल आया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें आशा है कि दोनों देश व्यापार और आर्थिक संबंधों की अपनी क्षमताओं का अधिकतम उपयोग करने में सफल होंगे। साथ ही आर्थिक संबंधों में व्यापार घाटे और बाजार तक पहुंच जैसे मुद्दों को हल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त आयोग की इस बैठक को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। इसलिए उनके प्रतिनिधिमंडल में सात विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी आयें हैं। वे व्यापार संबंधी विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के साथ ही आगामी कार्यदिशा तय करेंगे।
जयशंकर ने विदेश मंत्री लावरोव के साथ बातचीत में यूक्रेन संघर्ष सहित विभिन्न विश्व मामलों पर चर्चा की। अपने प्रारंभिक संबोधन में उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी आर्थिक दवाबों और व्यापारिक कठिनाईयों के कारण विश्व अर्थव्यवस्था पर विपरित असर पड़ा है। इन सबसे ऊपर यूक्रेन संघर्ष के परिणाम से दुनिया जूझ रही है। साथ ही आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के खतरे भी हैं। यह खतरे विकास और समृद्धि के मार्ग में बड़ी रूकावट हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-रूस बहुध्रुवीय और नए संतुलित विश्व व्यवस्था के लिए कार्यरत हैं। दोनों देशों के बीच अनोखी स्थायित्वपूर्ण और भरोसेमंद दोस्ती है। उन्होंने कहा कि आज की वार्ता में हमने अंतरराष्ट्रीय स्थिति के बारे में अपने रूख पर चर्चा की तथा इससे अपने राष्ट्रीय हितों पर पड़ने वाले असर का लेखा-जोखा लिया। हमारा प्रयास है कि सामान्य उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मिलकर काम किया जाए ताकि एक संतुलित और परस्पर लाभप्रद और टिकाऊ संबंध कायम रखे जा सकें।
विदेश मंत्री की रूस यात्रा को लेकर कूटनीतिक हलकों में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच शीघ्र शिखरवार्ता आयोजित होने की अटकल लगाई जा रही है। पिछले वर्ष नियमित वार्षिक शिखरवार्ता के लिए राष्ट्रपति पुतिन नई दिल्ली आए थे। इस बार प्रधानमंत्री के मास्को जाने की बारी है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस शिखरवार्ता के आयोजन के संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है। जयशंकर की रूस यात्रा के कुछ दिन पहले राष्ट्रपति पुतिन ने दो अवसरों पर प्रधानमंत्री मोदी और भारत की विकास यात्रा की खुलकर प्रशंसा की थी।
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