शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विधि विभाग में स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) हिमाचल प्रदेश व नेहरू युवा केंद्र की ओर से अंगदान के प्रति जागरुकता शिविर लगाया गया। सोटो टीम ने छात्रों को अंगदान (organ donation) के प्रति जागरूक किया और पर्चे बांटकर अंगदान (organ donation) करने के लिए शपथ पत्र भरने का आग्रह किया। इसमें 10 छात्रों ने अंगदान करने की शपथ ली।
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इस दौरान सोटो टीम ने बताया कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान (organ donation) करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं। अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। किसी व्यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल पाते हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। देश में प्रतिदिन प्रत्येक 17 मिनट में एक मरीज ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हुए जिंदगी से हाथ धो बैठता है।
सोटो के एक प्रवक्ता ने बताया कि एक व्यक्ति जिसकी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है, वह स्वैच्छिक रूप से अपने करीबी रिश्तेदारों को देश के कानून व नियमों के दायरे में रहकर अंगदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि अंगदान (organ donation) एक महान कार्य है जो हमें मृत्यु के बाद कई जिंदगियां बचाने का अवसर देता है। अंगदान से संबंधित सही जानकारी नहीं होने व भ्रम होने की वजह से अधिकतर लोग अंगदान करने से पीछे हट जाते हैं। इसलिए अगर लोगों में पहले से अंगदान को लेकर पर्याप्त जानकारी होगी तभी ऐसे मौके जरूरतमंदों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं।
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