HP Loksabha election 2024: हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर BJP पिछले 10 साल से एकतरफा जीत हासिल कर रही है। एक दशक में कांग्रेस किसी भी सीट पर बीजेपी का मुकाबला नहीं कर पाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद बीजेपी ने सभी चारों सीटों पर भारी अंतर से जीत हासिल की थी। जब 2019 के लोकसभा चुनाव हुए तो राज्य में बीजेपी की सरकार थी और चारों सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों की जीत का आंकड़ा और बढ़ गया। कांगड़ा लोकसभा सीट से बीजेपी के किशन कपूर ने करीब चार लाख 66 हजार वोटों से जीत का नया रिकॉर्ड बनाया। इस बार का लोकसभा चुनाव अलग राजनीतिक परिदृश्य में हो रहा है। राज्य में कांग्रेस सत्ता पर काबिज है। कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के कारण छह सीटों पर भी उपचुनाव हो रहे हैं। ऐसे में इस बार दोनों पार्टियों के बीच दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं।
HP Loksabha election 2024: हारी हुई 43 सीटों पर बीजेपी को मिल सकती है टक्कर
डेढ़ साल पहले हिमाचल की 68 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 43 सीटों पर हार मिली थी। तब बीजेपी के सात मंत्री चुनाव हार गये थे। कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर सरकार बनाई जबकि बीजेपी सिर्फ 25 सीटें ही जीत सकी। तीन सीटों पर निर्दलीय विधायक जीते। उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और बीजेपी में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस के सामने इन 40 सीटों पर अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती होगी। इन सीटों पर बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है।
शिमला लोकसभा सीट पर कांग्रेस के पांच मंत्रियों और 13 विधायकों की अग्निपरीक्षा
राज्य की प्रत्येक लोकसभा सीट में 17 विधानसभा सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो कांग्रेस ने शिमला, कांगड़ा, सोलन, हमीरपुर और ऊना जिलों में अच्छा प्रदर्शन किया था। भाजपा सिर्फ मंडी जिले में ही एकतरफा जीत दर्ज कर पाई। मंडी जिले की 10 में से नौ सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। शिमला संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की सुक्खू सरकार में सबसे ज्यादा पांच मंत्री हैं। इस संसदीय क्षेत्र में 17 में से 13 विधायक कांग्रेस के हैं। कांग्रेस ने सोलन जिले के कसौली से विधायक विनोद सुल्तानपुरी को मैदान में उतारा है। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों के लिए अग्निपरीक्षा होगी।
हमीरपुर लोकसभा सीट पर सीएम और डिप्टी सीएम की साख पर दांव
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के गढ़ हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। हमीरपुर जिले में बीजेपी अपना खाता नहीं खोल पाई जबकि ऊना जिले में बीजेपी ने 5 में से 1 सीट जीती। बिलासपुर में मुकाबला ड्रा रहा। इस संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर लगातार चार बार जीत हासिल कर चुके हैं। इस सीट पर विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराना सीएम और डिप्टी सीएम के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। खास बात यह है कि इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के चार पूर्व विधायक अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
अगर बीजेपी ने मंडी सीट पर विधानसभा विरोध दोहराया तो कंगना का जाना तय
मंडी लोकसभा सीट पूरे देश में चर्चा में है। बीजेपी ने यहां से बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत को मैदान में उतारा है। वह अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं। उनका मुकाबला दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे और सुक्खू सरकार में युवा मंत्री विक्रमादित्य सिंह से है। विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह वर्तमान में मंडी से सांसद हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मंडी संसदीय क्षेत्र की 17 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। अगर लोकसभा चुनाव में नतीजे ऐसे ही रहे तो कंगना पर बीजेपी की जीत तय है।
यह भी पढ़ेंः-Lok Sabha elections: जब डॉ. राम मनोहर लोहिया ने सिर्फ 472 वोटों से पाई थी जीत
कांगड़ा में बढ़त पाने के लिए आठ कैबिनेट रैंक के कांग्रेस विधायकों पर दबाव
कांगड़ा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अपने संगठन के राजीव भारद्वाज को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा पर दांव खेला है। कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के आठ विधायकों को कैबिनेट रैंक दिया है। इनमें दो मंत्री भी हैं। इस चुनाव में उन पर अपने क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त दिलाने का दबाव रहेगा। इस संसदीय क्षेत्र में बीजेपी के सिर्फ पांच विधायक हैं। कांग्रेस विधायकों की संख्या 12 है। धर्मशाला से कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा अब बीजेपी में हैं। विधायकों की संख्या के हिसाब से इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का पलड़ा भारी है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)