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फ्री स्कूटी, बिजली, बेरोजगारी भत्ता, सिलेंडर... मुफ्त की घोषणाएं करने में जुटी रहीं पार्टियां

शिमला: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है। राज्य की 68 विधानसभा सीटों पर 12 नवम्बर को एक चरण में मतदान होना है। इस बार के चुनाव में सियासी दलों ने खूब रेबड़ियां बांटने की घोषणाएं की हैं। प्रदेश पर कर्ज का बोझ 67 हजार करोड़ रुपये है।

प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी हिमाचल के लोगों से कई मुफ्त घोषणाओं का ऐलान कर चुकी हैं। यह पहली बार है जब राजनीतिक दल महिलाओं को लेकर सीधी घोषणाएं करने में जुटे रहे। कांग्रेस ने चुनाव में जीत हासिल करने पर महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा किया है, तो भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं को कई बड़ी सौगातें देने का दावा किया है। स्कूल-कॉलेज छात्राओं के लिए स्कूटी, साइकिल और महिलाओं को तीन मुफत गैस सिलेंडर देने की घोषणा की है। भाजपा ने छोटे किसानों को 3 हजार रुपये सालाना देने की भी बात कही है। बेरोजगार युवाओं को 2 हजार रुपये मानदेय देने की भी घोषणा शामिल है।

भाजपा सरकार जहां प्रदेश में 125 यूनिट मुफ्त बिजली दे रही है, तो कांग्रेस ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया है। कांग्रेस ने सरकार बनने पर कर्मचारी को पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने का भी बड़ा वायदा किया है। अहम बात यह है कि कांग्रेस ने सतासीन होने पर अपनी पहली कैबिनेट में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को बहाल करने का वादा कर दिया है। दूसरी तरफ भाजपा ने कर्मचारियों और पेंशनरों की वेतन विसंगतियां दूर करने पर जोर दिया है। आम आदमी पार्टी ने बेरोजगार युवाओं को 3 हजार रुपये मासिक भत्ता, ओपीएस लागू करना, 300 यूनिट मुफ्त बिजली और महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति माह सम्मान राशि देने की गारंटियां दी हैं। रोचक बात यह है कि सियासी दलों ने इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए किसी ठोस योजना का खुलासा नहीं किया है।

हिमाचल सरकार पर 67 हजार करोड़ का कर्ज-

बता दें कि मौजूदा समय में हिमाचल सरकार पर कर्ज 67 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुका है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में जब भाजपा सरकार ने हिमाचल की बागडोर संभाली थी, तो उसे कांग्रेस सरकार से 48 हजार करोड़ का कर्ज विरासत में मिला था। पांच साल में भाजपा सरकार 19 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज ले चुकी है। अब दिसंबर में बनने वाली सरकार को विरासत में कर्ज की यह भारी रकम मिलेगी।

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एक अनुमान के मुताबिक, राज्य के हर नागरिक पर 50 हजार से अधिक का कर्ज चढ़ा है। प्रदेश की ओर से जो बजट जुटाया जाता है, उसमें सबसे अधिक 38 फीसदी बजट कर्मचारियों के वेतन पर खर्च करना पड़ता है। इसका प्रबंधन करने में ही सरकार के अधिकारियों के पसीने छूट जाते हैं। चाहकर भी यह खर्च कम नहीं हो पा रहा है। इसी का नतीजा है कि सरकार को लगातार कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह भी दीगर है कि प्रदेश में आय के अधिक स्रोत नहीं हैं, जबकि व्यय लगातार बढ़ता जा रहा है। बहरहाल राज्य का हजारों करोड़ रुपये का कर्ज उतारने की बजाय राजनीतिक दल कर्ज बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों ने लगातार मुफ्त रेवड़ियों की घोषणाएं की हैं। अब देखना यह होगा कि किस दल के पक्ष में मतदाता अपनी मुहर लगाता है।

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