Sunflower Cultivation: सूरजमुखी की करें खेती, हो जाएंगे मालामाल

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लखनऊः सूरजमुखी की खेती तिलहनी वाली है। इसके फूल और बीज दोनों ही कीमती होते हैं और इसे नकदी फसल भी कहा जाता हैं। इसके बीजों से तेल को निकालकर खाने और औषधीय रूप में इस्तेमाल किया जाता है। तेल को निकालने के बाद शेष भाग का उपयोग मुर्गी के दाने और पशुओं के खाने के इस्तेमाल में लाया जाता है।

उत्तर प्रदेश में भी इसकी खेती की जाती है और कई राज्यों में यह पारंपरिक फसल भी है। इसके पौधों को पूर्ण रूप से तैयार होने के लिए तीन से चार महीने का समय लगता है। इसकी फसल वर्ष में खरीफ, जायद और रबी तीनों ही मौसम में की जा सकती है, लेकिन यदि गर्मी में इसकी खेती करें तो ज्यादा लाभकारी होती है। सूरजमुखी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है।

रबी और जायद के मौसम को इसकी फसल के लिए उचित माना जाता है। इस दौरान इसके पौधों में बहुत कम रोग होते हैं। अधिक तापमान में इसके बीजों का अच्छे से अंकुरण नहीं हो पाता है। ऐसे में किसान यदि उत्तम बीजों के साथ सूरजमुखी की खेती करते हैं, तो मोटा मुनाफा कमाने का उनके पास अच्छा मौका है।

फसल की उन्नत किस्म –

इन दिनों सूरजमुखी की बाजार में कई उन्नत किस्में मौजूद है। संकर प्रजाति वाले बीजों में ज्यादा लाभ मिलता है। इसमें निकलने वाले पौधों की लंबाई भी अधिक होती है। इस किस्म के पौधों को तैयार होने में 90 से 95 दिन का समय लग जाता है। इसके बीजों में 40 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है।

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ऐसे तैयार करें खेत –

सूरजमुखी के बीजों की रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए। इसमें अच्छी गोबर की खाद डालकर मिट्टी में पूरी तरह से मिला देना चाहिए। खेत में बीज रोपाई के 15 दिन पहले एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 10 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को डालनी चाहिए। इसके बाद खेत जोतकर भुरभुरी बना देना चाहिए।

नमी की होती है अधिक आवश्यकता –

खेत में पानी लगाकर जुताई करवा देने से ही पैदावार नहीं हो जाती है। इसमें ध्यान देना पड़ता है कि खेत में नमी बनी रहे। बीज बोने से पहले इनको दस घंटे पानी में रखना जरूरी है। इससे इनके अंकुर जल्दी निकल आते हैं। इसके अलावा सूरजमुखी के पौधों को सिंचाई की बराबर आवश्यकता होती है। बीजों की रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई होनी चाहिए और समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

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