काबुलः अफगानिस्तान में तालिबान ने सार्वजनिक रूप से सजा के साथ सजा देने का तरीका भी बदल दिया है। बीते दिनों सार्वजनिक रूप से एक व्यक्ति को फांसी की सजा देने के बाद अब कंधार के फुटबाल स्टेडियम में भीड़ के सामने चार लोगों के हाथ काट दिये गए। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने दुनिया से बदलाव की बात कही थी, किन्तु ऐसा हो नहीं रहा है।
तालिबान ने शरिया कानून के तहत सार्वजनिक सजा देने की शुरुआत कर दी है। बीते दिनों एक आरोपित को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया था। अमेरिका के अफगानिस्तान से जाने के बाद से तालिबान की तरफ से दी गई यह पहली सार्वजनिक फांसी की सजा थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका विरोध होने के बाद भी तालिबान नहीं चेता है। अब कंधार प्रांत के अहमद शाही फुटबाल स्टेडियम में चोरी और पुरुषों से कुकर्म के नौ आरोपितों को प्रांत के गवर्नर हाजी जैद की मौजूदगी में सार्वजनिक रूप से दंडित किया गया।
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इनमें से चार आरोपितों के हाथ काट दिये गए। शेष पर 40 कोड़े बरसाए गए। तालिबान के इस कृत्य की अब आलोचना शुरू हो गई है। ब्रिटेन की शरणार्थी मंत्री और अफगानिस्तान मामलों की जानकार शबनम नसीमी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि तालिबान शासन में लोगों को बिना निष्पक्ष सुनवाई के मारा-पीटा और मौत की सजा दी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने भी तालिबान को सार्वजनिक रूप से सजा ना देने को कहा है। ऐसी सजा देने के पीछे तालिबान का तर्क है कि इससे लोगों के मन में गलत काम करने के प्रति डर आएगा और वह अपराध करने से डरेंगे।
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