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12 साल पहले जब देश ने देखी अन्ना के अनशन की ताकत, सरकार को भी झुकना पड़ा

anna-hazare

नई दिल्लीः देश-दुनिया के इतिहास में 09 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का भारत के चर्चित आमरण अनशन से गहरा रिश्ता है। हालांकि अनशन और आंदोलन जैसे शब्द अब कम सुनाई देते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की अलख जगाने वाले अन्ना हजारे ( anna hazare) ने 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में धुआंधार तरीके से अनशन शुरू किया था। अन्ना की मांग थी कि सरकार लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए एक कमेटी बनाए।

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सरकार ने उनकी मांग मानते हुए अनशन के पांचवें दिन 09 अप्रैल को अधिसूचना जारी की। इसके बाद अन्ना ( anna hazare) ने एक छोटी बच्ची के हाथों नींबू पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा। अनशन खत्म करने के बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 15 अगस्त तक लोकपाल विधेयक पास नहीं किया जाता है, तो अगले दिन से वो एक बार फिर आंदोलन शुरू करेंगे। 15 अगस्त तक विधेयक पास नहीं हुआ और 16 अगस्त को अन्ना दोबारा अनशन पर बैठे। इसके बाद देशभर में अन्ना के समर्थन में आंदोलन शुरू हो गया।

आखिरकार सरकार को आनन-फानन में इस बिल को लोकसभा में लाना पड़ा। लोकसभा में बिल पास होने के बाद अन्ना का आंदोलन खत्म हुआ। उनके इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि कभी उनके सहयोगी रहे अरविंद केजरीवाल के दिल्ली के तख्तो ताज तक पहुंचने का रास्ता इसी आंदोलन से निकला है। हालांकि अन्ना अपने आंदोलन को राजनीतिक लोगों से दूर रखते थे।

यह तारीख दुनिया की एक और बड़ी घटना का भी गवाह है। वर्ष 2003 का वह मंजर बहुत से लोगों को याद होगा, जब इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन के शासन का अंत हुआ था और लोगों ने बगदाद के फिरदौस चौराहे पर लगी सद्दाम की मूर्ति को गिरा दिया था।

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