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Hindi Diwas 2023: विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है हिंदी, जानें इसका इतिहास और महत्व

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Hindi Diwas 2023: नई दिल्लीः भारत अनेकता में एकता का संदेश देता है। यहां यूं तो हर राज्य में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। लेकिन हिंदी ही सिर्फ ऐसी भाषा है जिससे भारत के 52.8 करोड़ लोग मजबूती से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर है। इंग्लिश, मंदारिन चीनी भाषा के बाद हिंदी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है।

हिंदी की जड़ें जितनी गहरी हैं, इसका इतिहास भी उतना ही समृद्ध है। हिंदी के महत्व को मनाने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस दिन पूरे भारत में हिंदी से संबंधित साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। कई स्कूलों और कॉलेजों में हिंदी पखवाड़ा भी मनाया जाता है, जिसमें पंद्रह दिनों तक हिंदी से संबंधित अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आइए जानते हैं हिंदी दिवस का इतिहास और महत्व।

हिंदी दिवस (Hindi Diwas) का इतिहास क्या है?

हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन 1949 में भारत की संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था और इसी दिन हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

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हिंदी दिवस (Hindi Diwas) का महत्व 

हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाने के पीछे का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाना भी है कि हिंदी एक भाषा के रूप में कितनी समृद्ध है। युवाओं में हिंदी के घटते प्रभाव को देखते हुए हिंदी का प्रयोग बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। बच्चों में हिंदी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पोस्टर बनाना, कविता लेखन, निबंध लेखन, नुक्कड़ नाटक आदि। इन कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में हिंदी साहित्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है।

हिंदी की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है और इसकी लिपि देवनागरी है। भारत के कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है। जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है। हिन्दी का साहित्यिक इतिहास भी बहुत पुराना है और यह विश्व भर में प्रसिद्ध है। मुंशी प्रेमचंद, रवीन्द्रनाथ टैगोर, शरत चंद, महादेवी वर्मा, दिनकर, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी साहित्य के कुछ जाने-माने नाम हैं जिन्होंने विश्व मंच पर हिंदी का झंडा फहराया है।

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