शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) ने कहा है कि भारी बारिश के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए वास्तविक समय के आधार पर मौसम पूर्वानुमान के लिए एक मजबूत और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली विकसित करना आवश्यक है। वह हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की 8वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्यमंत्री Sukhvinder Singh Sukhu ने आपदा के समय जान-माल की कम से कम हानि के दृष्टिगत सक्रिय कार्यवाही पर बल दिया। बैठक में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और उसकी तैयारियों से संबंधित विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि राज्य के बर्फीले क्षेत्रों में पांच स्वचालित मौसम पूर्वानुमान प्रणालियाँ स्थापित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन इस समय हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है और इस समस्या से पार पाने के लिए उचित कदम उठाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने से बनी अस्थायी झीलों की लगातार निगरानी की जानी चाहिए।
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प्रशिक्षित हो रहे 47 हजार स्वयंसेवक
CM ने कहा कि राज्य में 47390 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उनकी सेवाएं सुनिश्चित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान बांधों से पानी छोड़ने की उचित व्यवस्था अपनाई जानी चाहिए और बांधों से रुक-रुक कर पानी छोड़ा जाना चाहिए ताकि निचले इलाकों में नुकसान को सीमित किया जा सके।
डेटा संकलन व निगरानी जरूरी
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) ने कहा कि आपदा संबंधी हेल्पलाइन नंबर 1077 और 1070 के अलावा इसमें एक और हेल्पलाइन नंबर 1100 भी जोड़ा जाना चाहिए ताकि आपदा के समय प्रभावित लोगों को समय पर सहायता प्रदान की जा सके। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है और आपदा जोखिम को कम करने के लिए ऐसी घटनाओं से डेटा की निरंतर निगरानी और संकलन आवश्यक है।
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