आपदा में पोकलेन ऑपरेटर ने किया ऐसा काम, हर कोई कर रहा जज्बे को सलाम

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मंडीः 31 जुलाई की मध्य रात्रि को पधर उपमंडल के तेरांग में बादल फटने से आई बाढ़ जिंदगी भर का जख्म दे गई है। बाढ़ ने अपनों के साथ हंसी-खुशी रह रहे छह परिवारों के 10 लोगों को हमेशा के लिए जुदा कर दिया। चार परिवारों के आशियाने भी बहा ले गई।

अंतिम संस्कार तक कर पाना मुश्किल था

मंडी जिला प्रशासन ने बिना किसी देरी के पहले दिन से ही हादसे में लापता 10 लोगों को ढूंढने में पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन हादसा इतना बड़ा था कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और होमगार्ड की सर्च टीमों के लिए बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच फंसे लापता लोगों को ढूंढ़ना और बचाना मुश्किल हो रहा था। मृतकों के परिजन प्रार्थना कर रहे थे कि उनके लापता परिजनों के शव मिल जाएं, ताकि वे उनका अंतिम संस्कार कर सकें।

असंभव को संभव करके दिखाया

इस निराशा में उम्मीद की किरण बने पोकलेन ऑपरेटर अश्वनी कुमार। बादल फटने से थलटू खोड़ से तेरांग तक छह किलोमीटर सड़क पूरी तरह तबाह हो गई। जान की परवाह किए बिना अश्वनी कुमार पोकलेन मशीन लेकर ऐसी जगह पहुंचे, जहां पैदल पहुंचना भी मुश्किल था। पिछले पांच दिनों से वह रोजाना 12 घंटे से अधिक समय तक मशीन चलाकर बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच फंसे शवों को निकालने में बचाव दल की मदद कर रहे हैं। लोग उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। अगर तेरांग में पोकलेन मशीन नहीं पहुंचती तो चट्टानों के नीचे फंसे शवों को निकालना बचाव दलों के लिए संभव नहीं हो पाता।

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अश्वनी कुमार कांगड़ा जिले के जवाली के राजोल कोटला गांव के निवासी हैं और पोकलेन चलाते हैं। अश्वनी कुमार का कहना है कि वह लापता लोगों को जल्द से जल्द ढूंढकर उनके परिजनों को सौंपने की कोशिश में लगे हैं। फिलहाल हादसे में एक व्यक्ति हरदेव की तलाश की जा रही है। उसकी तलाश में मशीन एक बार पूरा मलबा पलट चुकी है। अब दुर्घटनास्थल के नीचे पोकलेन मशीन से हरदेव की तलाश की जा रही है। एडीएम मंडी डॉ. मदन कुमार ने कहा कि लापता लोगों को ढूंढने में पोकलेन ऑपरेटर ने सराहनीय काम किया है। अश्वनी कुमार ने ऐसी चट्टानों को पलट दिया जिन्हें मशीन की मदद से हटाना नामुमकिन लग रहा था। उन्होंने उम्मीद जताई कि लापता हरदेव का शव यदि चट्टानों के नीचे दबा हुआ होगा तो भी उसे ढूंढकर वहां से निकाल लिया जाएगा।

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