शिमला: मानसून सीजन के दौरान आई प्राकृतिक आपदा ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुक्खू सरकार की वित्तीय हालत खराब कर दी है। राज्य सरकार (Himachal Government) ने आपदा प्रभावितों के लिए 4500 करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की है। खास बात यह है कि आपदा राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त फंड की व्यवस्था करने में जुटी सुक्खू सरकार एक बार फिर 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी। इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह ऋण अगले 20 साल के लिए लिया जाएगा।
सचिव वित्त द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह ऋण 18 अक्टूबर 2043 तक चुकाया जाएगा। इस ऋण का लाभ उठाने के लिए राज्य सरकार की प्रतिभूतियों की भारतीय रिजर्व बैंक के साथ नीलामी की जाएगी। कर्ज लेने का मकसद राज्य में विकास कार्यों को आगे बढ़ाना है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार को यह नया कर्ज आपदा राहत कार्यों और अन्य कारणों से लेना पड़ रहा है।
अधिक कर्ज लेने वाले राज्यों में हिमाचल
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) इस समय अधिक कर्ज लेने वाले राज्यों में 5वें स्थान पर पहुंच गया है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने विधानसभा के मानसून सत्र में राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर पेश किए गए श्वेत पत्र में यह खुलासा किया था। वर्ष 2017 में हिमाचल प्रदेश पर 47906 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसमें अब तक 29724 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो चुकी है।
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मानसूनी आफत ने जमकर कहर बरपाया
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक, मानसून सीजन के दौरान विभिन्न हादसों में 503 लोगों की जान चली गयी। इनमें से 147 लोगों की मौत भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने से हुई, जबकि बारिश से जुड़े अन्य हादसों में 356 लोगों की मौत हो गई। मानसून के कारण राज्य (Himachal Pradesh) में 2941 घर पूरी तरह ढह गये, 12302 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये। इसके अलावा 421 दुकानें और 7247 पशुशालाएं भी नष्ट हो गईं। मानसून सीजन के दौरान राज्य में 169 स्थानों पर भूस्खलन हुआ, जबकि 72 स्थानों पर बाढ़ आई। कई स्थानों पर भूस्खलन से राष्ट्रीय राजमार्ग और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। जमीन धंसने से 200 गांव प्रभावित हुए। मानसून के कारण राज्य में 9711 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ, जबकि अप्रत्यक्ष नुकसान का आंकड़ा 12 हजार करोड़ रुपये है।
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