लखनऊः अभी गर्मी चरम पर नहीं है। जिस मौसम का किसानों ने सामना किया है, वह शीतोष्ण था। आने वाले दिनों में गर्मी बढ़ेगी और यह भिंडी के लिए फायदेमंद रहेगा। भिंडी का जर्मिनेशन भी गर्मी में ही अच्छा रहता है। बाजार में भी भिंडी का रूख काफी गर्म है। आने वाले दिनों में जो भिंडी बोेई जाएगी, वह किसानों के साथ व्यापारियों और आम आदमी को भी राहत देगी।
भिंडी की फसल मुख्यतया गर्मी की है। हालांकि, यह बारिश और सर्दी में भी बाजार में मिल जाती है। भिंडी की खेती लखनऊ के निकट जिलों में भी की जाती है। इसका कारण है कि भिंडी जिस मिट्टी में उगाई जाती है, वह हमारे यहां मौजूद है। इसके लिए रेतीली व चिकनी बेहतर होती है। इस बार अभी भिंडी का भाव काफी ज्यादा है। किसान वैज्ञानिकों का कहना है कि सर्दी के मौसम में भिंडी जर्मीनेट कम होती है। जिन किसानों ने सर्दी में इसे बो लिया था, उनकी फसल तैयार है। यह 45 दिनों में तैयार हो जाती है। किसानों ने इसे सर्दी के दौरान बोया जरूर था, लेकिन यह जर्मीनेट कम हुई। इसी कारण बाजार में कम दिखाई दे रही है। जो फसल कम तैयार होती है, उसका महंगा होना स्वाभाविक है।
आने वाले दिनों में किसानों को इसे बोना चाहिए। गर्मी में यह जल्दी तैयार होती है। जो फसल अप्रैल में बोई जाएगी, वह दिसंबर तक रहेगी यानी किसानों का यह लंबे समय तक साथ देगी। जब यह फसल तैयार होने लगेगी, बाजार में भिंडी के दाम भी कम पड़ जाएंगे। इसकी तुड़ाई, बिजाई के 55-60 दिनों के बाद की जा सकती है। जो किसान भिंडी बोना चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि अपने खेत अच्छी तरह से तैयार करें। खेत की 5-6 बार गहरी जुताई करें और अच्छी तरह से समतल कर लें।
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ज्यादातर इसकी बिजाई जून, जुलाई तथा फरवरी और मार्च में की जाती है। इसे अप्रैल में भी बोया जा सकता है। इसके बीज करीब एक सेंटीमीटर भूमि की गहराई में दबा दें। बिजाई से पहले बीज को 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद बीजों को कार्बेनडाज़िम से उपचार करें। बीजों को उपचार के लिए 02 ग्राम कार्बेनडाजिम घोल प्रति लीटर पानी में मिलाकर करीब पांच घंटे भिगो दें। इसके बाद ही बिजाई कर दें।
पानी की बराबर करें आपूर्ति –
ज्यादातर किसान भिंडी को गर्मी में ही बोते आए हैं, इसलिए इस फसल में पानी का खर्च भी काफी रहता है। पूरी फसल में कई बार पानी भी देना पड़ता है। गर्मी में फसल होने के कारण ज्यादा पानी देना स्वाभाविक है। इस खर्च से बचने के लिए किसान भिंडी कम बोते हैं, लेकिन यदि किसानों ने खेत को सही से तैयार किया है और इसमें पानी कहीं भी भरता नहीं है तो इसके खर्च को नियंत्रित रखा जा सकता है। ज्यादा गर्मी में आठ दिन में भी पानी की जरूरत पड़ती है।
– शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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