जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार होकर जेल जाने के बाद भी सवाई माधोपुर नगर परिषद के चेयरमैन को निलंबित नहीं करने के खिलाफ दायर याचिका में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने कहा की 6 अप्रैल तक जवाब पेश किया जाए। ऐसा नहीं करने पर अदालत ने स्वायत्त शासन निदेशक को पेश होकर जवाब देने को कहा है जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश तूफान सिंह व अन्य की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता आरके गौतम ने कोर्ट को बताया कि नगर परिषद सभापति विमल चंद महावर को घूसखोरी के मामले में रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है. एसीबी में मामला दर्ज होने के बाद 21 अक्टूबर को महावर को जेल भेज दिया गया था। इसी मामले में चार्जशीट पेश होने के बाद 21 दिसंबर को उन्हें जमानत मिल गई थी। जमानत पर बाहर आने के बाद महावर ने अध्यक्ष का पद संभाला था। याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2015 में इसी नगर परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष कमलेश कुमार को भी रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया था। जबकि वर्तमान अध्यक्ष महावर को राजनीतिक कारणों से निलंबित नहीं किया गया था।
याचिका में कहा गया कि गत 27 दिसंबर को नगर परिषद आयुक्त की ओर से महावर की ओर से बिना अनुमति वापस पदभार ग्रहण करने की जानकारी भी उच्चाधिकारियों को दी गई। इसके बावजूद भी आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा कार्मिक विभाग के वर्ष 2001 और वर्ष 2010 में प्रावधान है कि लोक सेवक के रंगे हाथों गिरफ्तार होने पर उसे पद से निलंबित किया जाएगा। इसके अलावा हाल ही में नगर परिषद को 3.50 करोड रुपए विकास कार्यों के लिए स्वीकृत हुए हैं। जिनके दुरुपयोग होने की संभावना है। वहीं राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया। इस पर अदालत ने जवाब पेश नहीं होने पर 6 अप्रैल को निदेशक को हाजिर होने को कहा है।
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