चुनावी हिंसाः हाई कोर्ट ने एसआईटी को लगाई फटकार, दिए ये निर्देश

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राज्यभर में भड़की हिंसक वारदातों की जांच में सुस्ती बरत रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) की कार्यशैली को लेकर आज हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने एसआईटी की नेतृत्वकर्ता पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लर को सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया।

सोमवार को मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि चुनाव बाद हिंसा का मामला बहुत ही गंभीर है, लेकिन इस मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने काफी लापरवाह रवैया अख्तियार किया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने एसआईटी का नेतृत्व कर रही हाई कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लर को सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया है। बिंदल ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि इस एसआईटी के लिए अधिकारी किसने चुना है? एसआईटी या राज्य? क्या इस मामले में न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर की सलाह पर ली गई है? किसकी सलाह पर वकील नियुक्त किया गया है? उन्होंने पूछा कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। यह किसने किया? उन्होंने कहा कि क्या राज्य स्वयं सब ठीक कर रही हैं? हमने एक कमेटी बनाई थी। जस्टिस चेल्लूर से कोई सलाह क्यों नहीं ली गई। कोई समन्वय नहीं है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान एसआईटी ने चुनाव के बाद हिंसा मामले में हाई कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी। इस अवसर पर पुलिस आयुक्त के साथ रणबीर कुमार और सुमन बाला साहू भी कोर्ट में मौजूद थे। इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।

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बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की सहायता के लिए 10 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति की थी। इस एसआईटी में पश्चिम बंगाल कैडर के तीन आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू, सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार शामिल हैं। वहीं, हाई कोर्ट ने राज्य की सभी एजेंसियों को जांच के लिए सीबीआई और एसआईटी को सहयोग करने का भी निर्देश दिया था।

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