Sunday, March 30, 2025
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रक्षा मंत्रालय की जमीन पर मुरूम खुदाई के मामले में High Court नाराज, मांगा जवाब

बिलासपुर: बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट चकरभाठा से लगे रक्षा मंत्रालय की जमीन पर मुरूम के अवैध उत्खनन के मामले में High Court ने स्वतः संज्ञान लिया है। गुरुवार को चीफ जस्टिस की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। जिसमें चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की विशेष बेंच ने सुनवाई करते हुए मुरूम के अवैध उत्खनन पर कड़ी नाराजगी जताई। बेंच ने कहा कि 13 दिसंबर 2024 की खबर पर देर से कार्रवाई करते हुए नोटिस दिया गया।

High Court ने कहा- गूगल पर भरोसा नहीं

शासन का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने गूगल के माध्यम से प्राप्त नक्शा कोर्ट में पेश किया। जिसमें तर्क दिया गया कि 2012 में भी उक्त स्थान पर गड्ढा मौजूद था। कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि हर समय गूगल पर भरोसा नहीं किया जा सकता।।! सभी फेल हो गए हैं।।! वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि गांव और आसपास के लोग भी यहीं से ले जाते रहे हैं, जिस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जिम्मेदारों की आंखें बंद रहती हैं। इतना नहीं है कि बेचारे गांव वालों ने ले लिया।।! ये बड़े लोग हैं जो इस सब के पीछे हैं।

अब अगले साल होगी सुनवाई

अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि 2018 से नियमन के साथ रॉयल्टी लेने का प्रावधान किया गया और एक व्यक्ति को अनुमति भी दे दी गई है। वही खनिज विभाग ने मेंबर फॉर्च्यून एलिमेंट के संचालक पवन अग्रवाल को नोटिस दिया है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि खबर 13 दिसंबर की है और आपने बिल्डर को इतने दिनों बाद नोटिस दिया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट में कहा कि, अपील है कि जिला प्रशासन अधिकारी कलेक्टर इस जमीन पर हो रहे उत्खनन को रोकें। साथ ही कोर्ट ने इस पूरे मामले में प्रशासन और केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय विभाग से शपथ पत्र पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 9 जनवरी 2025 को तय की गई है।

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दरअसल बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट चकरभाठा से लगी रक्षा मंत्रालय विभाग की जमीन तेलसरा गांव के अंतर्गत आती है। जिसमें मुरूम के अवैध उत्खनन की खबर प्रकाशित हुई थी। जिसमें बिल्डर द्वारा मुरूम खोदकर कॉलोनी विकसित करने की जानकारी दी गई थी। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की रॉयल्टी का नुकसान उठाना पड़ा। इस खबर को स्वप्रेरणा से संज्ञान में लेकर जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया गया और हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

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