सफला एकादशी पर इस कथा को सुनने से मिलती है सभी कष्टों से मुक्ति

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नई दिल्लीः पौष मास के कृष्ण पक्ष की आज सफला एकादशी है। नये साल की यह पहली है। सफला एकादशी पर विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। सफला एकादशी का व्रत रखने और यह कथा सुनने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। भगवत कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पद्म पुराण के अनुसार, एक बार एक राजा महिष्मान था। वे चम्पावती नगरी के राजा थे। उनके पांच पुत्र थे। उनका सबसे बड़ा पुत्र लुम्भक चरित्रहीन था। वह हमेशा गलत कार्यो में लिप्त रहता था और देवताओं की निंदा करता था। राजा अपने बेटे के इन सभी कार्यों से काफी परेशान था। उसने अपने बड़े बेटे को राज्य से बाहर निकाल दिया। ऐसे में वो जंगल में जाकर रहने लगा। इस दौरान पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी की रात्रि आई। इस रात इतनी ठंड थी कि वो सो न सका। सुबह होते ही उसकी हालत खराब हो गई और वो प्राणहीन सा हो गया। फिर दिन में जब धूप आई तो उसे होश आया। इसके बाद वो जंगल में फल इक्ट्ठा करने लगा। फिर शाम के समय उसने अपनी किस्मत को कोसा और सभी फल पीपल के पेड़ की जड़ में रख दिए।

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फिर उसने कहा कि इन फलों से लक्ष्मीपति भगवान विष्णु प्रसन्न हों। यह एकादशी का दिन था। इस पूरी रात वो सो न सका। इस तरह अनजाने में ही लुम्भक का एकादशी का व्रत पूरा हो गया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप सत्कर्म में परिवर्तित हो गये। उसके कुछ समय बाद लुभ्भक के पिता ने उसे सारा राज्य दे दिया और खुद तप करने चला गया। कुछ दिन के बाद लुम्भक को मनोज्ञ नामक पुत्र हुआ। बाद में जाकर राज्य सत्ता सौंप कर लुम्भक खुद विष्णु भजन में लग गया और मोक्ष प्राप्त करने में सफल हो गया।