नई दिल्लीः विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ईरान स्थित भारतीय दूतावास वहां फंसे पांच भारतीय नाविकों के लगातार संपर्क में है और उन्हें हरसंभव मदद कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि वो पांचों भारतीय नाविकों को आवास एवं भोजन की सुविधा उपलब्ध करा रहा है। उसके बाद हाई कोर्ट ने विदेश मंत्रालय को इस बारे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दे दिया। मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी।
विदेश मंत्रालय की ओर से पेश वकील ने 27 जुलाई को कोर्ट को बताया था कि इन भारतीय नाविकों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। उन पर आठ सौ किलोग्राम मॉर्फिन जब्त हुआ है। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील गुरिंदर पाल सिंह ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं को कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
कोर्ट ने 20 जुलाई को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। नाविकों के परिजनों ने मांग की है कि उन्हें ईरान में कानूनी और काउंसलर सहायता प्रदान की जाए। याचिका में मांग की गई है कि नाविकों को भारत वापस लौटने तक ईरान में आर्थिक सहायता, दवाइयां, आवास और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। ये नाविक मेरिन का कोर्स पूरा कर चुके हैं। इन्हें संयुक्त अरब अमीरात में काम देने का वादा किया गया था।
नौकरी के लिए वे अलग-अलग संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे, लेकिन उनके प्लेसमेंट एजेंट ने उन्हें नौकरी नहीं दिलवाई बल्कि उन्हें ईरान ले जाया गया जहां उन्हें एक कार्गो में नाविक की नौकरी दी गई। 15 अक्टूबर 2019 से कार्गो कई बंदरगाहों पर गया जहां माल की लोडिंग और अनलोडिंग हुई। 21 फरवरी 2020 को उनका कार्गो स्ट्रैट ऑफ हॉर्मोज के गहरे समुद्र में था। वहां ईरानी प्रशासन ने छापा मारा और कार्गो के कैप्टन के साथ गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ ईरान सरकार ने नारकोटिक्स की तस्करी का आरोप लगाया। कार्गो के मालिक को भी बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद से उन्हें चाबहार जेल में ही रखा गया है।
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चाबहार की ट्रायल कोर्ट ने पिछले 8 मार्च को पांचों नाविकों को बरी कर दिया और 9 मार्च को उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन ईरानी प्रशासन ने उनका पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया। उन्हें सूचित किया गया कि उनका मामला ईरानी सुप्रीम कोर्ट में भेजा गया है। उन्हें बताया गया कि 23 जून तक ईरानी सुप्रीम कोर्ट उनके मामले में फैसला कर लेगी। इस मामले में अभी भारत सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की है, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
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