डेंगू के प्रति लोगों को जागरूक करने में जुटा स्वास्थ्य विभाग, दिए टिप्स

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किशनगंजः राज्य ही नहीं देश भर में डेगू के मामलों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। अस्पतालों में बुखार और डेंगू के मरीजों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। जिससे स्वास्थ्य विभाग की परेशानियां बढ़ने लगी है। डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच स्वाथ्य विभाग लगातार लोगों को इसके प्रति जागरूक कर रहा है। जिले में डेंगू प्रभावित मरीजों की संख्या 13 हो गयी है। वर्तमान में 01 सक्रिय मरीज है। जो होम आइसोलेशन में है। इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विभागीय प्रयास जारी है। अब तक कुल 963 लोगों की जांच हो चुकी है। पीएचसी स्तर पर डेंगू की जांच एवं इलाज की व्यवस्था उपलब्ध करायी गयी है। सदर अस्पताल में 10 बेड और माता गुजरी मेडिकल कॉलेज में 15 बेड की क्षमता वाला विशेष डेंगू वार्ड संचालित है।

मरीजों का नियमित फॉलोअप

डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी अलर्ट और जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा-निर्देश के आलोक में जिला स्वास्थ्य समिति डेंगू के लक्षण वाले मरीजों की निगरानी कर रही है। सभी संक्रमित मरीजों का नियमित फॉलोअप किया जा रहा है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग एहतियाती उपायों पर जोर दे रहा है। विभाग की नजरें संभावित मरीजों को ढूंढ़ने और समुचित इलाज मुहैया कराने पर टिकी हैं। इसे लेकर हर स्तर पर आवश्यक प्रयास चल रहे हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम की देखरेख में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में कुल 500 से अधिक डेंगू जांच किट उपलब्ध कराया गया है।

इन लक्षणों पर जरूर लें डॉक्टर की सलाह

गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि डीएम तुषार सिंगला के निर्देश पर प्रभावित क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर फॉगिंग का कार्य कराया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में फॉगिंग की जिम्मेदारी जहां स्वास्थ्य विभाग संभाल रहा है, वहीं शहरी इलाकों में फॉगिंग का काम नगर प्रशासन संभाल रहा है। उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए आवश्यक एहतियाती उपाय लागू करना जरूरी है। जिला स्वास्थ्य समिति लगातार जागरूकता रथ के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है। डॉ. मंजर आलम ने कहा, आम लोगों के बीच डेंगू से बचाव की सही जानकारी नहीं होने के कारण डेंगू शब्द ही उनके लिए भय का विषय है। इसके बारे में आम लोगों को पूरी जानकारी दी जाये तो लोगों को इससे काफी हद तक बचाया जा सकता है। यह मच्छर साफ और रुके हुए पानी में पनपता है और दिन के ज्यादातर समय काटता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। डेंगू के लक्षणों में 3 से 7 दिनों तक लगातार बुखार, तेज सिरदर्द, पैरों के जोड़ों में तेज दर्द, आंखों के पीछे तेज दर्द, चक्कर आना और उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे और कुछ मामलों में आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव शामिल हैं। कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को घातक होने से बचाया जा सकता है। इसलिए, डेंगू के लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी है।

कैसे रोकें डेंगू का लार्वा

डेंगू के लक्षण दिखने पर बिना डॉक्टरी सलाह के बुखार की दवा लेना खतरनाक हो सकता है। डॉ. मंजर आलम ने कहा कि दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही दिन में मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का भी इस्तेमाल करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर के सभी कमरों को साफ-सुथरा रखें। टूटे-फूटे बर्तन, कूलर, एसी, फ्रिज में पानी जमा न होने दें। घर के आसपास पानी की टंकी व अन्य स्थानों पर पानी जमा न होने दें। घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें और कीटनाशकों का प्रयोग करें। गमलों और फूलदानों का पानी हर दूसरे दिन बदलें। घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर भी सतर्कता जरूरी है। मॉल और दुकान चलाने वाले लोगों को भी खाली जगहों पर रखे डिब्बों और डिब्बों में पानी जमा नहीं होने देना चाहिए। जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें। उन्होंने बताया कि अचानक तेज सिरदर्द और तेज बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द जो आंखें हिलाने पर बढ़ जाता है, मतली और उल्टी होती है।

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गंभीर मामलों में नाक, मुंह और मसूड़ों से खून आना और त्वचा पर चकत्ते पड़ना डेंगू के लक्षण हैं। आगे डॉ. आलम ने कहा कि कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के लिए पीने के पानी का बर्तन, फ्रीजर ट्रे, फूलदान आदि को हर सप्ताह खाली कर धूप में सुखाकर उपयोग करना चाहिए। घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जालीदार पर्दे लगाएं।

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