विशेष Featured

उम्मीदवारी रद्द होने की आशंका से सहमे प्रधान, काट रहे सचिवालय के चक्कर

लखनऊः उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने अभी चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया है, लेकिन वोटर लिस्ट तैयार करने की तारीख दे दी है। चुनाव की तैयारियों की जानकारी पाते ही गांवों के प्रधान और सक्रिय हो गए हैं। तमाम प्रधानों का सचिवालय आना-जाना बढ़ गया है। यह वे लोग हैं जिनको डर है कि कहीं उनकी उम्मीदवारी को आयोग अयोग्य न करार दे। कई प्रधानों को अपने आकाओं पर इतना भरोसा है कि उनकी उम्मीदवारी डिबार होने पर भी कोई न कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा। एक रिपोर्ट की मानें तो प्रदेश में 80 फीसदी उम्मीदवार अभी डिबार की स्थिति में हैं।

ताजा मामला पश्चिमी यूपी का है। यहां राज्य निर्वाचन आयोग ने सैकड़ों प्रधानों को डिबार होने का अंदेशा जता दिया है। इसमें आगरा मंडल अव्वल है। यहां के सभी जिलों के 90 फीसदी प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। ऐसा उनके द्वारा चुनाव आयोग के नियमों का पालन न करने के कारण हो रहा है। दरअसल, इसी साल नवंबर और दिसंबर में त्रिस्तरीय चुनाव होने थे, लेकिन कोरोना काल के कारण इसको टाला जा रहा है। अब ये चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होंगे। बीच का रास्ता यह है कि नामांकन के दौरान पुरानी प्रधानी के खर्च का ब्यौरा देना होगा।

यह भी पढे़ंः-महंगा डीजल बिगाड़ रहा बजट

अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि 01 अक्टूबर से 12 नवंबर तक बीएलओ घर-घर जाकर वोटर लिस्ट तैयार करें। प्रदेश में 58,758 ग्राम पंचायत, 821 क्षेत्र पंचायत और 75 जिला पंचायत हैं। इनके चुनाव इसी साल के आखिर तक होने थे। चुनाव की तैयारियों में कम से कम 6 महीने लगते हैं। वर्ष 2015 में पंचायत चुनाव के लिए फरवरी-मार्च से ही तैयारी शुरू हो गई थी। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) निर्धारण की समयसारिणी 16 मार्च 2015 को जारी कर दी गई थी।