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दिल्ली हिंसा : कोर्ट ने खालिद सैफी की जमानत याचिका पर सुरक्षित रखा फैसला

महिला

नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली हिंसा की साजिश से जुड़े आरोपित खालिद सैफी की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान खालिद सैफी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने दलीलें रखी जबकि दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने दलीलें रखीं।

अमित प्रसाद ने हाईकोर्ट से कहा कि ट्रायल कोर्ट से खजूरी खास के एक एफआईआर में खालिद सैफी और उमर खालिद के बरी करने का ये मतलब नहीं है कि उनके खिलाफ साक्ष्य नहीं हैं। सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने खालिद सैफी की ओर से दी गई उस दलील का विरोध किया, जिसमें कहा गया था कि खालिद सैफी का सह आरोपित उमर खालिद, शरजील इमाम और इशरत जहां से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा था कि खालिद सैफी ने जो भाषण दिया, वही भाषण उमर खालिद और शरजील इमाम ने दिया। उन्होंने कहा था कि खालिद सैफी खजूरी खास से एक साधारण नागरिक हैं और वे जामिया में भाषण देने गए थे। सभी भाषण एक ही तरह के थे। खालिद सैफी और उमर खालिद दोनों ही यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य थे।

खालिद सैफी की ओर से वकील रेबेका जॉन कहा था कि दिल्ली पुलिस के पास उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, जो दिल्ली दंगों में उसकी संलिप्ता बताएं। जॉन ने कहा था कि दिल्ली पुलिस साजिश की थ्योरी का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस का पूरा केस स्पेशल है, जो दफ्तर में बैठे दो तीन लोगों की राय पर आधारित है, जो व्हाट्स ऐप मैसेज का अर्थ बता रहे हैं। जॉन ने कहा था कि खालिद सैफी फरवरी 2020 से हिरासत में है और साजिश रचने के मामले में उसे मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था। जॉन ने कहा था कि मुझे नहीं लगता कि मेरा जीवन रहते ये केस खत्म होगा। उन्होंने पूछा था कि क्या किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा जा सकता है।

जॉन ने कहा था कि खालिद सैफी का मामला उमर खालिद के मामले से अलग है, जिसकी जमानत याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी। उमर खालिद के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है जबकि ऐसा कोई आरोप खालिद सैफी के खिलाफ नहीं है। खालिद जब पुलिस थाने जा रहा था तो उसे रास्ते में गिरफ्तार कर लिया गया। वो कभी भी हिंसा में शामिल नहीं रहा।

सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच जिन आरोपितों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है उनमें खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर वगैरह शामिल हैं। हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर को इस मामले के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

हाई कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था। हाई कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा। उमर खालिद व्हाट्स ऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था। उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं।

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