Bengal: भ्रष्टाचार मामले में HC ने लगाई सीआईडी को फटकार, राज्य पर लगाया 50 लाख का जुर्माना

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kolkata high court

कोलकाता: उत्तरी बंगाल की अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 50 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सीआईडी को कड़ी फटकार लगाई। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को जस्टिस अभिजीत गांगुली की एकल पीठ में हुई। इस मामले की जांच सीआईडी कर रही थी लेकिन जांच के तरीके से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।

सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कही ये बात 

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने शिकायत की कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सीआईडी ने उन्हें मामले की जांच से जुड़े कोई दस्तावेज नहीं दिए हैं। इधर सीआईडी ने फैसले पर पुनर्विचार के लिए अर्जी दाखिल की और कहा कि जांच सीआईडी से कराने की इजाजत दी जाए। इसके बाद जस्टिस गांगुली ने सीआईडी अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि आप काफी समय से जांच कर रहे थे लेकिन आपने क्या किया? क्या आपने कोई कार्रवाई की? कुछ हासिल किया? आपकी जांच की गति संतोषजनक नहीं थी इसलिए इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि 18 सितंबर तक सीबीआई को जांच से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो राज्य के गृह सचिव को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। जज ने कहा कि यह भ्रष्टाचार कोई छोटा मामला नहीं है।

ईडी करे मनी लॉन्ड्रिंग की जांच-हाईकोर्ट

आगे उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में कोई सब्जी बेचता है तो कोई छोटा-मोटा काम करके सहकारी समितियों में पैसा रखता है और सारा पैसा गबन कर लिया गया है। मैं जानता हूं इसके पीछे कौन लोग हैं। जो लोग साइकिल से यात्रा करते थे वे अब वाहनों से यात्रा कर रहे हैं। कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि इस मामले में चाहे कितने भी प्रभावशाली लोग हों, उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर पूछताछ करनी होगी। कोर्ट ने इस मामले में ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने का भी आदेश दिया है। दरअसल, 21 लाख 163 महिलाओं ने रुपये निवेश किये थे। अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट सहकारी समिति में। कल्पना दास सरकार नाम की महिला ने शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने दावा किया है कि इन महिलाओं से करीब 50 करोड़ रुपये हड़पे गए हैं। इस मामले में जज ने कहा कि इस वित्तीय भ्रष्टाचार के पीछे एक बहुत बड़ा गिरोह काम कर रहा है। करीब तीन साल तक जांच के बावजूद सीआइडी को जांच में कुछ हासिल नहीं हुआ। इसके बाद ही उन्होंने केस को सीबीआई को सौंप दिया।

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