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ऐसी मजबूरी, खरीदकर पानी पीने पीते हैं हरियाणा के इस गांव के लोग

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भिवानी (हरियाणा): हरियाणा (Haryana) जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह पिछले महीने 22 अप्रैल को दावा कर चुके हैं कि हरियाणा (Haryana) ने हर घर नल से जल मिशन के लक्ष्य को दो साल पहले ही पूरा कर लिया। इसी के साथ ‘वह’ देश के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले तीन राज्यों में शामिल हो गया है। इस जिम्मेदार अफसर के दावे को भिवानी जिले का उमरावत गांव झूठा साबित कर रहा है …क्योंकि इस गांव की प्यास बुझाने की ईमानदार और गंभीर सरकारी कोशिश नहीं की गई है।

पांच हजार आबादी वाले उमरावत गांव में करीब 900 घर हैं। यहां के बाशिंदे जयभगवान, रामदास, संजय एवं महिला सुरेश का कहना है कि करीब दो दशक से पूरा गांव साफ और स्वच्छ पानी के लिए जूझ रहा है। इस गांव का भूमिगत पानी खारा है। नहरी पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां के ग्रामीण पानी खरीद कर पीने को मजबूर हैं। जनस्वास्थ्य विभाग ने गांव में टैंक का निर्माण तो जरूर करवाया है लेकिन वह सूखा रहता है।

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इस गांव में पेयजल की समस्या पर जनस्वास्थ्य विभाग के एसडीओ मोहित शर्मा का कहना है-‘ गांव उमरावत के टैंक तक पानी भेजने वाली पाइप लाइन लंबी है। यह गांव टेल पर है। इन दोनों वजह से यह समस्या है। इस गांव के लिए नया प्रोजेक्ट अधिकारियों को भेजा गया। मंजूरी मिलने पर काम शुरू होगा। फिलहाल भूमिगत जल को फिल्टर कर आपूर्ति की जा रही है।’

ग्रामीणों का दावा है कि वह अफसरों, जनप्रतिनिधियों और मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं। सीम विंडो पर दी गई शिकायत पर भी कुछ नहीं किया गया। भूमिगत खारा पानी पीने में इस्तेमाल किया नहीं जा सकता। इसके घरेलू उपयोग बहुतेरे लोगों को चर्मरोग हो चुका है। हर माह करीब 1500 रुपये पानी पर खर्च करने पड़ते हैं। पानी का एक टैंकर 600-700 रुपये खर्च कर मंगवाना पड़ता है। यह मुश्किल से 10 दिन चलता है।

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