Tuesday, November 5, 2024
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धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने वाला 7वां राज्य बनेगा हरियाणा, जानिए क्यों पड़ी इसकी जरूरत

चंडीगढ़ः हरियाणा देश का ऐसा सातवां राज्य बनने जा रहा है जहां विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निवारण कानून लागू होगा। विधानसभा में यह बिल पेश किया जा चुका है। विधानसभा के इसी सत्र में इसे ध्वनिमत से मंजूरी मिलने की प्रबल संभावना है। प्रदेश में प्रस्तावित इस विधेयक का नाम ‘हरियाणा विधि विरुद्ध धर्म-परिवर्तन निवारण विधेयक-2022’ रखा गया है।

विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन करना अपराध हो जाएगा। ऐसा करने या करवाने वालों को 10 साल तक की सजा हो सकेगी। साथ ही, उन पर चार लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगेगा। इस विधेयक में किसी धर्म विशेष का जिक्र नहीं है। मनमर्जी से धर्म परिवर्तन करने का अधिकार भी यह कानून देगा।

हरियाणा पिछले तीन साल से यह कानून लागू करने की कवायद में हैं। एक उच्चस्तरीय कमेटी ने हिमाचल और उत्तर प्रदेश के कानूनों के अध्ययन के बाद हरियाणा के माहौल के अनुसार यह ड्राफ्ट तैयार किया है। देश में इससे पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में यह कानून बन चुका है।

कानून लागू होने के बाद क्या होगा बदलाव

धर्म-परिवर्तन का आयोजन का आशय रखने वाला कोई भी धार्मिक पुरोहित अथवा अन्य व्यक्ति जिला मजिस्ट्रेट को आयोजन स्थल की जानकारी देते हुए पूर्व में नोटिस देगा। इस नोटिस की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी आपत्ति दायर कर सकता है। जिला मजिस्ट्रेट जांच करके यह तय करेगा कि धर्म-परिवर्तन का आशय धारा-3 का उल्लंघन है या नहीं है। यदि वह इसमें कोई उल्लंघन पाता है तो आदेश पारित करते हुए धर्म-परिवर्तन को अस्वीकार कर देगा। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध 30 दिनों के भीतर मंडलायुक्त के समक्ष अपील की जा सकती है।

यदि किसी प्रलोभन, बल प्रयोग, षड्यंत्र अथवा उत्पीड़न से धर्म-परिवर्तन करवाया जाता है, तो 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के कारावास और कम से कम 1 लाख रुपये जुर्माने के दंड का प्रावधान है। यदि विवाह के आशय से धर्म छिपाया जाएगा, तो 3 से 10 साल तक के कारावास और कम से कम 3 लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में इस विधेयक की धारा-3 के उपबंधों का उल्लंघन करने पर 5 से 10 साल तक के कारावास और कम से कम 4 लाख रुपये के जुर्माने का दंड दिया जाएगा। यदि कोई संस्था अथवा संगठन इस अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है, तो उसे भी इस अधिनियम की धारा-12 के अधीन दंडित किया जाएगा और उस संस्था अथवा संगठन का पंजीकरण भी रद्द कर दिया जाएगा। इस अधिनियम के उल्लंघन करने का अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।

बिल की धारा 3 में स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति मिथ्या निरूपण द्वारा बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या डिजिटल ढंग के उपयोग सहित किन्ही कपटपूर्ण साधनों द्वारा, या विवाह द्वारा या विवाह के लिए, या तो प्रत्यक्षत: या अन्यथा से किसी अन्य व्यक्ति का एक धर्म से अन्य धर्म में परिवर्तन नहीं करवाएगा या परिवर्तन करवाने का प्रयास नहीं करेगा।

किसी धर्म विशेष का नहीं है जिक्र: मनोहर लाल

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट किया है कि यह विधेयक किसी व्यक्ति को इच्छापूर्वक धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाता, बशर्ते कि इसके लिए उसे जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन करना होगा। किसी भी धर्म के व्यक्तियों को कहीं भी धर्मस्थल बनाने पर प्रतिबंध नहीं है। जिस धर्म के बारे में प्रश्न किया गया है, उसके चंगाई सम्मेलनों में धार्मिक प्रलोभन देकर लोगों में बीमारियां दूर करने का आश्वासन देकर अंधविश्वास फैलाते हैं, यह विधेयक उनके खिलाफ भी है। विपक्ष के लोग बिल को पढ़े बगैर ही विरोध कर रहे हैं। विपक्षी नेता विरोध के लिए ही विरोध की राजनीति कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी धर्म के व्यक्तियों को कहीं भी धर्मस्थल बनाने पर प्रतिबंध नहीं है।

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क्यों है इस इस कानून की जरूरत

हरियाणा में धर्मांतरण का मुद्दा काफी समय से चल रहा है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अन्य धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने जबरन या अवैध रूप से धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ कानून बनाने की मांग करीब सात साल पहले शुरू की थी। विहिप और अन्य संगठनों ने मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मेवात से हिंदुओं के लगातार हो रहे पलायन पर विस्तृत अध्ययन किया था। इस अध्ययन के अनुसार पलायन के चलते मेवात के 103 गांव हिंदू विहीन हो गए हैं। हरियाणा के यमुनानगर, पानीपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम में धर्मपरिवर्तन की कई घटनाएं हो चुकी हैं। कई मामलों में एफआईआर भी दर्ज हुई हैं। इसके अलावा, ऐसे भी मामले आये हैं कि अपने धर्म की गलत व्याख्या करके दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी की गई और शादी के बाद ऐसी लड़कियों को धर्म-परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया।

भारतीय दंड संहिता की धाराओं में भी धर्म परिवर्तन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन इससे समस्या का पूर्ण निदान नहीं होता। इसलिए यह कानून बनाने की जरूरत पड़ी। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मेवात के नूंह जिला मुख्यालय पहुंचकर इस कानून को बनाने की घोषणा की थी।

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