चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर हरियाणा जहां सतर्क है वहीं सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि प्रदेश के वर्तमान हालातों को देखते हुए मॉब लिंचिंग पर अभी कानून बनाने की जरूरत नहीं है। वर्ष 2015 से लेकर अभी तक प्रदेश में मॉब लिंचिंग का कोई मामला सामने नहीं आया है।
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मॉब लिंचिंग केसों तथा कानून बनाने को लेकर मुद्दा उठाया। इसके जवाब में गृहमंत्री अनिल विज ने सदन में रखी रिपोर्ट पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस संबंध में जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उसके आधार पर सरकार द्वारा प्रदेश के सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में सक्रिय रहें। पुलिस अधीक्षक ऐसी किसी भी घटना को रोकने के लिए जिम्मेदार होंगे। गृहमंत्री के अनुसार ऐसी किसी भी घटना की सूरत में सरकारी कर्मचारियों से अगर कोई चूक होती है तो उनकी जिम्मेदारी तय करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
विज ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों तथा ड्यूटी मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिए गए हैं कि वह विभिन्न समूहों के लोगों के बीच सद्भावना सुनिश्चित करने का प्रयास लगातार जारी रखें। उन्होंने बताया कि सबसे अहम खुफिया एजेंसियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं के संभावित क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए समय रहते आला अधिकारियों को सूचित करें।
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इसके अलावा सरकार द्वारा पुलिस आयुक्तों, पुलिस अधीक्षकों को ऐसे केसों में नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा चुका है। विज ने साफ किया कि प्रदेश के किसी भी जिले से वर्ष 2015 से लेकर आज तक मॉब लिंचिंग की घटना का मामला सामने नहीं आया है। इसलिए इस तरह का कानून बनाने की सरकार की कोई योजना नहीं है।
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