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अखंड सौभाग्य का पर्व है हरियाली तीज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

नई दिल्लीः हर साल श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाया जाता है। इस त्योहार के विषय में मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने हरियाली तीज के दिन ही पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। मान्यता यह भी है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। आज के दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और कुंवारी युवतियां मनमाफिक वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरा वस्त्र और मेंहदी का विशेष महत्व है। मेंहदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। इसलिए महिलाएं सुहाग पर्व में मेंहदी जरूर लगाती हैं। इसकी शीतल तासीर प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करने का भी काम करती है। माना जाता है कि मेंहदी बुरी भावना को नियंत्रित करती है। हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें। मेंहदी के औषधीय गुण इसमें महिलाओं की मदद करते है और सावन में पड़ने वाली फुहारों से प्रकृति में हरियाली छा जाती है।

हरियाली तीज का शुभ मूहर्त
सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 अगस्त दिन मंगलवार को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर हुआ है और इस तिथि का समापन 11 अगस्त दिन बुधवार को हो रहा है। व्रत के लिए उदया तिथि 11 अगस्त को प्राप्त हो रही है, ऐसे में इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत आज 11 अगस्त को रखा जाएगा और उसी दिन माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा की जाएगी।

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हरियाली तीज व्रत पर पूजा की विधि
हरियाली तीज के प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत कर संकल्प लें। हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार का भी विशेष महत्व होता है। पूजा शुरू करने से पहले एक चौकी पर कच्ची मिट्टी से बनी भगवान शिव, पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद एक थाली में सुहाग की सामग्री जिसमें बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, मेहंदी, नेल पॉलिश, अक्षत, धूप, दीप, गंधक आदि सजाकर अर्पित किया जाता है। इसके अलावा भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करनी चाहिए।

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