Sunday, December 29, 2024
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हैप्पी बर्थडेः 1992 में आयी इस फिल्म के संगीत ने एआर रहमान को कर दिया मशहूर

मुंबईः संगीत के ’सुर’ ताज (सरताज) अल्लाह रक्खा रहमान यानी एआर रहमान संगीत की दुनिया में मिसाल बन चुके हैं। संगीत मतलब एआर रहमान। मानों दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। एआर रहमान का जन्म 6 जनवरी 1967 को चेन्नई (तमिलनाडु) में हुआ। जन्म के समय उनका नाम एएस दिलीप कुमार था लेकिन बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और एएस दिलीप कुमार से एआर रहमान बन गए। रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला है। उनके पिता आरके शेखर मलयाली फ़िल्मों में संगीत देते थे। रहमान ने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की। मात्र 11 वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रूट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते थे। वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे। रहमान को चेन्नई के बैंड “नेमेसिस एवेन्यू“ के स्थापना का श्रेय जाता है। वे की-बोर्ड, पियानो, हारमोनियम और गिटार सभी बजाते थे। वे सिंथेसाइजर को कला और टेक्नोलॉजी का अद्भुत संगम मानते हैं। रहमान जब नौ साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद घर के आर्थिक हालात काफी खराब हो गई। घर चलाने के लिए मां को वाद्य यंत्रों को भी बेचना पड़ा।

रहमान ने हार नहीं मानी और अपने संगीत को जिंदा रखा और छोटे-मोटे संगीत शोज करते रहे। 1991 में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरू किया। 1992 में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम ने अपनी फिल्म रोजा में संगीत देने का न्योता दिया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म में ही रहमान ने फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीता। इस पुरस्कार के साथ शुरू हुआ उनकी जीत का सिलसिला आज तक जारी है। रहमान के गानों की 200 करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिंग बिक चुकी हैं। आज वे दुनिया के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जींस, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर 1997 में “वंदे मातरम“ एलबम बनाया, जिसने कामयाबी के झंडे गाड़े।

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भारत बाला के निर्देशन में बनी एलबम “जन गण मन“, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया एआर रहमान का एक और मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत भी तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसर्स का ट्रूप बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज शोज़ दिए। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहां से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की। एआर रहमान ने हिन्दी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं। एआर रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ है। इसी फिल्म के गीत ’जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले। एआर रहमान की पत्नी का नाम सायरा बानो है। दोनों के तीन बच्चे- खतीजा, रहीम और अमन हैं।

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