हैप्पी बर्थडेः नायक से ज्यादा खलनायक की भूमिका में हुई प्राण की अदायगी की सराहना

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नई दिल्लीः बाॅलीवुड के मशहूर अभिनेता प्राण आज भले ही हमारे बीच नही हैं, लेकिन उनका दमदार अभिनय और उनका स्टाइल हमेशा याद किया जाएगा। प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली के बल्लीमारान में एक रईस परिवार में हुआ था। प्राण ने कई फिल्मों में अपनी अदाकारी की बदौलत बाॅलीवुड में मुकाम हासिल किया। हालांकि उनके परिवार के लोगों को उनका फिल्मों में काम करना बिल्कुल भी पसंद नही था।

प्राण का मन पढ़ाई में नही लगता था इसलिए उन्होंने अपने पिता से फोटोग्राफर बनने की इच्छा जाहिर की। इस पर उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद ने उन्हें कनॉट प्लेस स्थित ए दास एंड फोटोग्राफर्स में प्रशिक्षण लेने के लिए भेज दिया। यहां से प्राण ने फोटोग्राफी का हुनर सीखा। इसी दौरान उनकी मुलाकात एक फिल्म निर्माता से हुई। इसके बाद पहली बार प्राण ने 1940 में फिल्म ‘यमला जट’ में अभिनय किया। इसके बाद प्राण ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अभिनेता प्राण ने 1945 में शुक्ला अहलूवालिया से विवाह किया। प्राण के दो बेटे अरविंद और सुनील सिकंद और एक बेटी पिंकी है। उन्होंने 1940-47 तक नायक भूमिकाएं निभाईं और इसके बाद 1942-1991 तक खलनायक और 1948-2007 तक सहायक और चरित्र भूमिकाएं निभाईं। प्राण ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने फिल्म खंडन (1942), पिलपिली साहब (1954) और हलाकू (1956) में नायक की भूमिका निभाई। मधुमती (1958), जिस देश में गंगा बहती है (1960), उपकार (1967), शहीद (1965), पूरब और पश्चिम (1970), राम और श्याम (1967), आंसू बन गए फूल (1969), जॉनी मेरा नाम (1970), विक्टोरिया नंबर 203 (1972), बेईमान (1972), जंजीर (1973), डॉन (1978), अमर अकबर एंथनी (1977) और दुनिया (1984) में उनकी अदाकारी की जितनी तारीफ की जाए कम ही होगी।

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खलनायक के रूप में प्राण की फिल्में जिद्दी और बड़ी बहन (1949) काफी सफल रहीं। प्राण को फिल्मों में उत्कृष्ट अभिनय के लिए कई सम्मान भी दिये गये। उन्होंने 1967, 1969 और 1972 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार जीता और उन्हें 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। अभिनेता प्राण को साल 2000 में स्टारडस्ट द्वारा ‘विलेन ऑफ द मिलेनियम’ के रूप में सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने प्राण को कला में उनके योगदान के लिए साल 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। उन्हें 2013 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।