Guru Gobind Singh Jayanti 2024: गुरु गोबिंद सिंह जयंती आज, जानें ये खास बातें

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Guru Gobind Singh Jayanti 2024: आज सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी का 357वां प्रकाश पर्व है। वह सिखों के नौवें गुरु और गुरु तेग बहादुर के पुत्र थे। उनका जन्म पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। तब से हर वर्ष इसी तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है।

इस दिन गुरुद्वारों में भव्य आयोजन किये जाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जयंती, पंजाब के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। गुरु गोबिंद सिंह एक योद्धा, कवि और दार्शनिक थे। उनके विचारों और शिक्षाओं की सिख समुदाय द्वारा पूजा की जाती है।

पांच ककार

गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंत की रक्षा के लिए मुगलों से टकराए थे। उन्होंने खालसा पंथ की शुरुआत करने के लिए “पंज प्यारे” या पांच ककार का आदान-प्रदान किया, जिनमें केश (केशा) – बाल, कंघा – कंघी, कड़ा – कड़ा, किरपान – कटार, और कछ – कछा शामिल थे।

कई भाषाओं का ज्ञान

गुरु गोबिंद सिंह को कई भाषाओं का ज्ञान था और उन्होंने अपने अनुयायियों को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। वे अपने ज्ञान और सैन्य शक्ति के कारण बहुत प्रसिद्ध थे। कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह संस्कृत, फ़ारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी जानते थे। वह धनुष-बाण, तलवार और भाला चलाने में निपुण थे।

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खालसा सैनिकों के नियम

गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा योद्धाओं के लिए कुछ विशेष नियम बनाए थे। उन्होंने तम्बाकू, शराब, हलाल मांस छोड़ने और अपने कर्तव्यों का पालन कर निर्दोष लोगों को बचाने की बात कही।

पटना साहिब गुरुद्वारा

गुरु गोबिंद सिंह ने अपने जीवन में जो चीजें इस्तेमाल कीं वे आज भी बिहार के पटना साहिब गुरुद्वारे में सुरक्षित रखी हुई हैं। यहां गुरु गोविंद की छोटी कृपाण भी मौजूद है, जिसे वे हमेशा अपने पास रखते थे। यहां उनकी खड़ाऊ और कंघी भी रखी हुई है। यहां वह कुआं भी मौजूद है, जहां से उनकी मां पानी भरती थीं।

संत सैनिक

गुरु गोबिंद सिंह संत सिपाही भी थे, जिन्होंने धर्म की रक्षा करते हुए सामंजस्य और साहस से जीवन यापन किया। उन्हें ‘संत सैनिक’ भी कहा जाता था। उनके दरबार में हमेशा 52 कवि और लेखक उपस्थित रहते थे। गुरु गोबिंद सिंह स्वयं एक लेखक थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ग्रंथों की रचना की थी।

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