नई दिल्लीः नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि पर मां की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक साल में चार बार नवरात्रि का आगमन होता है। जिनमें दो नवरात्रि प्रत्यक्ष रूप से सभी मनाते हैं और दो को गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि पर माता के दस स्वरूपों की आराधना होती है। आषाढ़ मास में पड़ने वाले गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ आज (11 जुलाई) से हो रहा है। गुप्त नवरात्रि पर त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की आराधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा के दस स्वरूपों की भक्त पूजा अर्चना करते हैं। इस नवरात्रि में शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएं, मंत्रों को साधने जैसे कार्य किये जाते हैं। गुप्त नवरात्रि पर मंत्रों और शक्ति साधना की मदद से लोग दुर्लभ शक्तियां प्राप्त करते हैं।
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गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि की शुरुआत भी कलश स्थापना के साथ शुरू होती है। नवरात्रि करने वाले भक्त व्रत रखकर कलश स्थापना के साथ माता रानी की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें लाल वस्त्र अर्पित किया जाता है। इसके बाद पान, हल्दी, सिक्का, सुपारी, चंदन, रोली, जौ, कलश, गंगाजल, मौली, अक्षत, पुष्प और फल से मां की पूजा की शुरूआत होती है। इसके साथ नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से भक्त मां की पूजा करते हैं। अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं को भोजन कराकर नवरात्रि व्रत का उद्यापन करते हैं।