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दो हजार रुपये से कम के लेन-देन पर GST का मामला अटका, दिया गया ये सुझाव

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नई दिल्ली: पेमेंट एग्रीगेटर्स की 2,000 रुपये से कम के लेन-देन पर आय पर 18 प्रतिशत GST लगाने का प्रस्ताव समीक्षा के लिए जीएसटी फिटमेंट कमेटी के पास वापस भेज दिया गया है। जीएसटी काउंसिल की आज 54वीं बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा के बाद इसे फिलहाल टालने का फैसला किया गया। दरअसल, पेमेंट एग्रीगेटर ऐसे प्लेटफॉर्म हैं, जिनके जरिए ऑनलाइन लेन-देन किया जाता है। पेमेंट एग्रीगेटर ग्राहक और दुकानदारों के बीच डिजिटल भुगतान के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, जिससे डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया आसान हो जाती है।

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया था कदम

फिलहाल पेमेंट एग्रीगेटर दुकानदारों से हर लेन-देन पर 0.50 फीसदी से 2 फीसदी तक चार्ज करते हैं। जीएसटी फिटमेंट कमेटी इस आय पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का प्रस्ताव लेकर आई थी। मौजूदा व्यवस्था में पेमेंट एग्रीगेटर्स को 2,000 रुपये से कम के लेन-देन से होने वाली आय पर जीएसटी नहीं देना पड़ता है। नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए 2017 में पेमेंट एग्रीगेटर्स को यह छूट दी गई थी, ताकि दुकानदारों को डेबिट या क्रेडिट कार्ड या किसी भी पेमेंट कार्ड सेवा के जरिए किए जाने वाले छोटे भुगतान पर जीएसटी का अतिरिक्त बोझ न उठाना पड़े।

ग्राहकों पर बढ़ सकता है बोझ

विशेषज्ञों का कहना है कि 2,000 रुपये से कम के लेन-देन से होने वाली आय पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव करते समय जीएसटी फिटमेंट कमेटी ने तर्क दिया था कि इस फैसले से उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, इस प्रस्ताव का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स दुकानदारों पर जीएसटी का बोझ डाल सकते हैं, जिससे लेन-देन की लागत बढ़ सकती है और उपभोक्ताओं के हित प्रभावित हो सकते हैं। अगर पेमेंट एग्रीगेटर्स जीएसटी का बोझ दुकानदारों पर डालेंगे तो दुकानदार भी इसकी भरपाई ग्राहकों से करेंगे। ऐसे में 2,000 रुपये से कम के लेन-देन पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला आखिरकार उपभोक्ताओं को ही प्रभावित करेगा।

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कमेटी करेगी पूरी विश्लेषण

कुछ दिनों पहले हुए एक सर्वे में भी यह बात सामने आई थी कि भारत में कुल डिजिटल भुगतान में से 80 फीसदी से ज्यादा 2,000 रुपये से कम के हैं। ऐसे में अगर छोटे-छोटे भुगतान के लिए भी पेमेंट एग्रीगेटर्स पर जीएसटी का बोझ डाला जाता है तो इसका असर अंततः डिजिटल भुगतान की गति पर ही पड़ेगा। फिलहाल इस प्रस्ताव को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है क्योंकि इसे समीक्षा के लिए फिटमेंट कमेटी के पास वापस भेज दिया गया है। अब फिटमेंट कमेटी छोटे लेन-देन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने के संभावित प्रभावों का विश्लेषण करेगी। इस विश्लेषण के बाद फिटमेंट कमेटी अपनी सिफारिश के साथ जीएसटी काउंसिल के समक्ष एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके आधार पर इस प्रस्ताव को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

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