नई दिल्ली: किसान आंदोलन को भड़काने संबंधी दस्तावेज इंटरनेट पर अपलोड करने को लेकर दिल्ली पुलिस की साइबर सेल द्वारा ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद विवाद के केंद्र में आई स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने दोहराया है कि वह अभी भी किसानों के साथ खड़ी हैं। दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी के कुछ घंटे बाद ग्रेटा थनबर्ग ने एक ट्वीट में कहा कि वह शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन करती हैं। किसी प्रकार की घृणा, धमकी या मानवाधिकारों का उल्लंघन उन्हें किसानों का समर्थन करने के फैसले से हटा नहीं सकता।
उल्लेखनीय है कि ग्रेटा थमबर्ग ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक दस्तावेज साझा किया था जिसमें आंदोलन की भावी रूपरेखा के साथ ही लोगों को विभिन्न विरोध आयोजनों में शामिल होने के दिशानिर्देश दिए गए थे। गत बुधवार को भारतीय मीडिया द्वारा इस सनसनीखेज दस्तावेज का खुलासा किए जाने के बाद ग्रेटा ने दस्तावेज अपने ट्विटर हैंडल से हटा दिया था। बाद में उसने एक संशोधित दस्तावेज अपलोड किया जिसमें पहले दस्तावेज की तरह ही आंदोलन के अगले चरणों का ब्यौरा था। ग्रेटा ने दावा किया कि यह दस्तावेज जमीनी स्तर पर सक्रिय लोगों द्वारा तैयार किया गया है। पहले वाले दस्तावेज को हटाने के बारे में उसने दलील दी कि यह पुराना हो गया था तथा अब इसे अपडेट किया गया है।
दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने जो प्राथमिकी दायर की है उसमें ग्रेटा थनबर्ग को नामजद नहीं किया गया है। पुलिस के अनुसार यह केस टूलकिट (दस्तावेज) को तैयार करने वाले के खिलाफ है। पुलिस ने प्राथमिकी में एक अंतरराष्ट्रीय साजिश होने की बात करते हुए राजद्रोह और समुदायों के बीच वैमनस्यता पैदा करने की धाराएं लगाई हैं।
दिल्ली पुलिस के अनुसार कुछ तत्व किसान आंदोलन का फायदा उठाकर असमाजिक गतिविधियां कर रहे हैं। ग्रेटा थनबर्ग के द्वारा संकेत करते हुए पुलिस ने कहा कि एक ट्विटर एकाउंट पर एक टूलकिट (दस्तावेज) पोस्ट किया गया। यह दस्तावेज कथित रुप से पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने तैयार किया था। यह एक खालिस्तान समर्थक संगठन है।