नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने फर्जी बिलिंग के जरिए कर चोरी रोकने के लिए GST अपराधों की जांच को ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के रूप में कराने का बड़ा फैसला लिया है। इसको लेकर शनिवार देर रात वित्त मंत्रालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसके बाद अब GST (वस्तु एवं सेवा कर) से जुड़े मामलों में ईडी कार्रयवाई करेगी। वहीं जरूरत पड़ने पर केंद्रीय एजेंसी GST नेटवर्क से पूरा डेटा मांग सकता है।
अब जांच के लिए ईडी को मिलेंगी ज्यादा शक्तियां
दरअसल, फर्जी बिलिंग के जरिए टैक्स चोरी रोकने के मकसद से केंद्र सरकार ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के दायरे में ला दिया है। इससे एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जीएसटीएन के भीतर कर चोरी के खिलाफ कार्रवाई करने की अधिक शक्ति मिल जाएगी।
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बता दें कि केंद्र सरकार ने एक गजट अधिसूचना के माध्यम से ऐसी जांच में मदद के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत ईडी और जीएसटीएन के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को अधिसूचित किया है। अधिसूचना PMLA की धारा 66(1)(iii) के तहत ईडी और जीएसटीएन के बीच जानकारी साझा करने के संबंध में है।
CBIC टैक्स चोरी रोकने के लिए उत्साहित
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) कर चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर उत्साहित है। सीबीआईसी के अध्यक्ष विवेक जौहरी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार फर्जी बिलिंग और फर्जी चालान की प्रथा पर अंकुश लगाने और फर्जी व्यवसायों की पहचान करने को लेकर गंभीर है। पीएमएलए को आतंकी फंडिंग और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए अधिनियमित किया गया था। अधिसूचना अब GST प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन की जांच के लिए ईडी और जीएसटीएन के बीच सूचना या सामग्री साझा करने की सुविधा प्रदान करेगी।
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